Book Title: Vidyanushasan
Author(s): Matisagar
Publisher: Digambar Jain Divyadhwani Prakashan

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Page 1075
________________ 150150150150151015 विधानुशासन PSDISIOSDISO15015 ह्रीं वदने टोन्यां डले ह्रीं हस्की कंठ स्मराक्षरं नाभौ हृदो द्विरेफ सहितं ह्रौंकार नाम संयुक्त नाभि तले ब्लंकारं वेदादि मस्तकेच संविलिरिवत् ॥२४॥ मस्तके च स्कंध मणिबंध कपर धवेषु तत्वं प्रयोक्ताया हस्ते तले कारं च संधिषुशारवाषु रोषुक्तरिफं त्रिपुटित वहि पुर त्रयं मथ तद्वाह्य प्रेदसस्थं कोष्टेषुभुवननाथ कोष्टा ग्रांतर निर्विष्टमंऽकुशं बीजं थालयं पदमावत्या मंत्रेण करोतुद्वाद्ये ॥२५॥ ॐ हीं है हकली पदम पदम काटिनी अमुकीमार्कषय माकर्षय मम वश्या कृष्टिं कुरू कुरू संयोषट्। अंकुश रूद्ध कुति तहाइट माराया निधा दोशनं । यावक मलयज चंदन काशमीराधे रीहे विलिरिवत् ॥२६॥ वस्त्रं रजस्वलायाः वादिरांगारेण तापयेत्, धीमान् कुरुतेभिलिरिवत वनिताकृष्टिं सप्ताह मध्येन ॥२७॥ एक चित्र अपनी इच्छित स्त्री बनाकर उसके मुख में ही योनि में ब्लें कंठ में ह्स्क्लीं नाभि में क्लीं हृदय में ही और स्त्री का नाम लिखें। नाभि के नीचे ब्लू मस्तक और सिर में ॐ लिखे , कंधे कलाई कोहनी कनपटी और पैरों में ह्रीं बीज लिखे।हथेली में यूँ हाथ, पांवो के जोड़ अंगुलियों और शेष अंगों में रं लिखे । उसके चारों तरफ तीन वाह्नि पुर (अग्नि मंडल) उस पुतली के बाह्य प्रदेश में बनाये।अग्निमंजल के बाहर ही कार का मंडल बनाकर क्रों से निरोध करें। इसके बाहर पद्मावती मंत्र से वेष्टित करे । यात्रक (अलक्तक) धंदन लाल चंदन केसर इत्यादि सुगंधित द्रव्यों से रजस्वला स्त्री के वस्त्र पर लिखकर पैर के कोयलों पर बुद्धिमान तपावे तो इच्छित स्त्री सात दिन में आकर्षित होवे। CSCRISTORICISTORIC5१०६९PASTERSTOTSITICISCISIOIN

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