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SSCISIOISTOISTRIST05 विद्यानुशासन SRISTRISTRISRISSIST
रक्त चंदन काश्मीर यष्टि लोहित याष्टिभिः, अजाक्षरै श्रुतं तैलं भपेद्वरन वर्णकृत
॥९७॥ लाल चंदन केशर मुलहठी लोहित यष्टि (लाल मुलेटी) को बकरी के दूध में सिद्ध किया हुआ तेल सोने अथवा केशर के समान रंग मुख का बना देता है ।
यष्टि कुचंदन लाता मंजिष्टा चंदनै श्रुतंकषैः,
द्विगुणं क्षीरं तिल भव कुडवं मुख कांतिकल्लेपात् ॥९८॥ यष्टि (मुलहठी) कुचंदन (लालचंदन) लाक्षा (लाख) मंजीष्ठ सफेद चंदन को एक कर्ष (सोलह मासा) लेकर इनसे दुगुना तैल दूध तथा एक कुडव (३२ तोले) तिलों के तेल को सिद्ध करके लेप करने से मुख की कांति बढ़ती है।
पीत्वा सधि रधो वका क्षणं सुद्वा वमेत् पुनः,
वनिता वंदनां भोजमत्यर्थ पीतम हति ॥९९॥ घृत को पिलाकर जरा देर नीचे को मुख किये हुए सोकर वमन कर दें इससे स्त्री का मुख रूपी कमल बहुत अधिक पान करने योग्य बनता है।
वक ब्ले हरतो विश्वा पथ्या चव्य फलत्वचो, मदनास्थिनि त ण सहितान्यथवा तथा
॥१०॥ विश्वा (सोठ) पय्या (हरड़े) चव्य फल (गजपीपल) की त्वचा (छाल) और भदन (मैनफल)की गुठली को मट्टे के साथ अथवा अकेले ही सेवन करने से मुँह की दुर्गंध दूर हो जाती है।
आस्य दौगंध्य हत् चिंचा फल वल्कल चर्वणं, प्रयुक्तमंथवा निंब शलाका चूर्ण पार्षण
||१०१॥ इमली के फल की वल्कल को चयाने से अथवा जीम और मेनफल के चूर्ण को घिसने से मुँह की दुर्गंध दूर होती है।
शरुगेला द्वंद्वजलद यष्टि धान्यक कल्कितं कवलं मुख विन्यस्तं मुखदौगंध नाशनं
॥१०२॥ रुग दोनों इलायची जलद (जागरमोथा) मुलेठी धान्यक के कल्क के ग्रास को मुँह में रखने से मुख्य की दुर्गध नष्ट होती है।
S5DIDIOIDDISTORISIO151९८४ P15052150550155105