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OMICSSISODE विधानुशासन ISR550150951645 गाय और भैंस के मूत्र और करिषा (सूखा गोबर) को निरंतर मालिश से चमड़े का रंग बराबर हो जाता है।
जननी वाहकस्य स्यात पिछलेनास्य वारिण
मुक्ष्णवर्ण किं न गृथैभ्यालस्य विनीलतां ||१६२॥ जननी (मंजोठ) वाहक और पिछल (मोचरस) के जल के लेप से घाव के चिन्ह और गांठ के चिन्ह लोप हो जाते हैं।
सिद्धार्थ कोल बीजेभ्य स्तैल मात्रं यथा विधि,
दत्तं नंशोन्नरं कुर्यात् पुरुषायष्क जीवितं ॥१६३ ।। सफेद सरसों और कोल (बोर) की गुठली के बीजों के तेल को सूंघने से पुरुष आयुभर जिन्दा रहता है।
षषमासान शाल्मली तरो रंधे संस्थाप्य जीवतः
आदाय भक्षयेत्पथ्या क्षराशी विजलोभवेत् |१६४॥ छह महीने तक हरे सेमल के वृक्ष के खोखल में पथ्या हरडे को रखकर दूध के साथ खाने से पुष्ट होता है।
आमल की फल चूर्ण सलिलेन पतेनवा
निशारंभे लीठोनासाश्रती दग्योवन बुद्धिअनि संजननं ॥ १६५ ॥ आमले केफल के चूर्ण को रात्री के आरंभ में जल या घृत के साथ चाटने से नाक, आँख्य योवन बुद्धि और अमि को तेज करता है।
तिल धात्री फल चूर्णे घृत लुप्तिः प्रतिदिनं प्रेग लीठः,
जनयेन्मासेनमतिं महंती हन्यज्जरां च परां ॥१६६।। तिल और आँवले के फल के चूर्ण को प्रतिदिन प्रातःकाल के समय घृत के साथ चाटने से एक मास में बड़ी भारी बुद्धि को उत्पन्न करती है बुढापापन नष्ट हो जाता है।
भगं भगरसे सिद्धं तैलं वा शीलयेन्नरः धात्री फल रसं वानु जरा रोग जयोद्यत
॥१६७॥ भंग (भांगरा ) या भांगरे के रस में सिद्ध किये हुए तेल अथवा आंवले के फल के रस का सेवन बुढापे के रोगों को जीतने में तत्पर रहता है। OSTOISSISTRI501501512151९९२ WESTO150150150150155