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CASISTRICTSTOTSETTES विद्यान्नुशासन PHOTOISTOISSISTSITES
मंत्रितं योनि संस्थंष्तं त कात्थित्तम नेजयत, कज्जलं कल्पितं तेन वशीकरण मक्षिणं
॥१२५ ॥ इस मंत्र को योनि में रखकर मट्टे में से निकाल कर जो इसका काजल बनाया जाता है उसको
नेत्र में लगाये जाने से वशीकरण करना है।
विचिंत येदेवल विंदु पिंडारक्तं भ्रमंतं वनिता वरांगे,
तद्रावणं दृष्टिं निपात मात्रात् सप्ताहतस्त्री नयनं करोति ॥१२६ ॥ स्त्री के उत्तम अंग (योनि) में एवल पिंड (ब्लें) को लाल रंग का घूमता हुआ यदि ध्यान किया जाए तो उसकी दृष्टि पड़ते ही वह स्त्री द्रवित हो जाती है, और एक सप्ताह में उस स्त्री का आकर्षण होता है।
एवल पिंडयोन्यां माया बीजं च चितरोत हृदये,
स्मर बीजं लोचनयो: वनितानां दावणं कुरुते ॥१२७॥ एवलपिंड (ब्ले) का योनि में और ह्रीं का हृदय में तथा रमर बीज (क्ली) का दोनों नेत्रों में ध्यान करने से स्त्री द्वावित होती है।
तत्व मन्मथ बीजस्य तलप्प परि चिंतयेत् पार्श्व योरेवल पिंड भ्रमंचमरूण प्रभं
॥१२८॥ मन्मथ बीज (क्लीं) के ऊपर और नीचे तत्व (ह्रीं) और दोनों पार्थ में यदि घूमते हुए, और लाल कांतिबाले एवलपिंड (ब्लें) का ध्यान किया जाये तो।
योने क्षोभं मूर्धिन विमोहनं पाननं ललाटस्थं, लोचन युगले द्रावं ध्यानेन करोति वनितानां
॥१२९॥ यह ध्यान स्त्री की योनि में किये जाने से क्षोभ सिर में मोहन ललाट में पानन और दोनों नेत्रों में किए जाने से स्त्री का द्रावण होता है।
देवी की पूरी प्रो याद मापक्षि ममावता अमक नप पशमानय गन.
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