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OGSPOSDISTRISTOT5 विधानुशासन 9501510052015DISTRIES गुंजा (चोटली) फल और धतूरे के फल की धूप से रात्रि में पुरुष अंधा हो जाता है शहद या दूध पीने से वह सब दूर हो जाता है।
चर्म शकुनी गतांते निधाय करवीर काऽअग्नि पुट दग्ध पटु,
गंधा कप भुक्तः कपि तरूतैलोष्णां जनान्मोक्ष: स्यात् ॥१४७ ।। मरे हुए शकुनि (गिद्ध) की चर्म रखने और कनेर की अग्नि की पुट में भस्म किये हुए पटु (पटोल लता-परवल साग-सोआ या सौंफ-जमक) और गंधा (असगंध) को खाने तथा कपितरू ) के तेल को आँखो में लगाने से पुरुष रोग से छूट जाता है।
ज्वलिता वत्या दीपोनिवज वंदाक रेणुक गर्भयां,
__ भवने रजनौ जनयति काण वदनिमेषनां द्विषतां ॥१४८ ॥ नीम की वंदा (अमरवेल) के चूर्ण याली दीपक की बत्ती को घर में रात के समय जलाने से शत्रु काने हो जाते हैं।
गुंजाफल जल भावित मधुक मधु च्चिष्ट मातुलंग फलैः,
संयुक्तायां वत्या दीपो विदद्याति काणत्वं ॥१४९ ।। गंजा (चोटली ) के फल के जल (रस) में भावना दिये हुए मधुक (महुवे) औ शहद (मधु उच्चिष्ट) मातुलुंग (बिजोरा) के फल सहित बत्ती का दीपक काणत्व काना बनाता है।
आयास प्रस्विद्यत सित तुरंग मुस्योत्थ धर्मजल कलितः,
लेपाद लक्तकरसः सित तरमधरं रिपोः कुरुते ॥१५० ॥ अत्यंत परिश्रम के कारण सफेद घोड़े के मुख्य से बहते हुए पसीने के जल से युक्त अलक्तक (महायर) के रस के लेप से शत्र के नीचे का होंठ सफेद हो जाता है
यत तेन श्वेत भावेन कारितेन विमुच्यते, उष्टस्तान तुरंगास्य प्रस्वेदजल लेपनात्
॥१५१॥ वह सफेद बना हुआ होंठ लाल घोड़े के पसीने के जल के से ठीक हो जाता है यह उपरोक्त रोग के निवारण का उपाय है।
ककला त्वचोदगीणं तांबूलं यस्य बद्धते, मुस्वरोगो भवेत् तस्य यावन्नाऽस्ट विभोक्षणं
||१५२॥ CASIOTICISISTERTOISOD७९३ 0755RIOSITICISTORY