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देवदत्तस्य सर्व ज्वरं नाशं कुर २
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त्रैलोक्य सार चिंतामणि गणधरवलय सिद्ध चक्राणि,
चकं समस्तंफलदं च पूजयेत् क्षुद्र शांत्यर्थ ॥१२२॥ क्षुद्र शांति के वास्ते त्रैलोक्य सार यंत्र चिंतामणि यंत्र गणधरवलय यंत्र सिद्ध चक्र यंत्र और समस्त फलद यंत्र का पूजन करे।
अथ शांति समुदेशे सर्व शांतिः प्रवक्ष्यते, यासां सुविहिता सर्वासान वति मारणात
॥१२३॥ इसके पश्चात शांति समुदेश में उन सर्वशांति कार्यों का वर्णन किया जाएगा जिनको करने से सभी को मारण कर्म से बचाया जा सकता है।
शांतौ प्रवक्ष्यमाणानि यंत्र नीरांजनानि च, वद्य प्रति विद्यानाय प्रयोज्यान्यत्र मंत्रिणा
॥१२४॥ मंत्री को चाहिये कि शांति समुदेश में कहे जाने वाले यंत्र और नीरांजनो का मारण के प्रतिकार में प्रयोग करे। मारण प्रतिकार की आवश्यक क्रियाएँ CISIOTECISIOTICISISAST015 ८३४ V50AOISTRISRASTRASIDASI