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SOROSPINIORAIPAST विधानुशासन 1501505IDISEAS1815
तस्या द्वाराणि चत्वारि कारयन्मकरांकितैः, तोरणै जमाना निवद्ध चंदन मालिकैः
॥७॥ उनके मकर के चिन्ह वाले चार द्वार बनाकर उनके ऊपर शोभा देनेवाले चंदन की मालाओं की तोरण बांधे।
सुरभे नाति वृद्धायाः सवत्साया: सुलक्षणं, दद्यत्या कपिल छायं निरोगं निव्रणं वपुः
॥८॥
पावनैः पंचमि गव्टीजिये द्विजकन्यया, जडयां स्नात या श्वेत वस्त्रालंकारादी प्रया
॥९॥ बच्चे वाली अच्छे लक्षणों से युक्त (सुरभि) गाय,जो ज्यादा बूढ़ी नहीं हो, बिना धाव के शरीर वाली हो, निरोगी हो, जो कपिल रंग की हो उस गाय के पवित्र पंच गव्य (घी, दूध, गोबर, और गोमूत्र दही) से उस भूमि को स्नान की हुई सफेद वस्त्रों और अलंकारों से सजी हुई पवित्र द्विज की कन्या से साफ कराए।
ततः सता सरि तीर द्वितखो पातया मदा, माजयेद्वामलराणां सतानां मत्स्न तत
॥१०॥ फिर उस मंड़प को नदी के किनारे की मिट्टी और (वामलूरी) चींटियों द्वारा बनाई हुई पहाड़ी को मिट्टी से भी साफ कराएं।
दर्भ पूलाग्र संलग्र ज्वल ज्वालावलीभता, परितो हय वाहन मंत्र वित्तद्वि शोधयेत
॥११॥ मंत्री फिर उसको भी दर्भ (कुश) के तिनके के अग्र भाग में लगी हुई अग्नि की लपटों के द्वारा (परितो) चारों तरफ से दुबारा (हय वाहन) घोड़ों का हाँकने की जगह को मिट्टी से शुद्ध करे।
षष्टे षष्टि सहस्त्राणां नागानां चरितां भुवि, तद्दाह शांतये सिंचेत्तेनात्र ममताजलिं
॥१२॥ फिर पृथ्वी में चलने वाले छियासठ हजार नागों के दाह को शांत करने के वास्ते अमृतांजली से सिंचन करे।
सुप्रसिद्धसरित तीर्था सुदुपातैवारिभिः शुभैः, कपिला गोमये नापि विदध्यात्तस्टा मार्जनं
॥१३॥ CHRISIOSS10150151955005९०९PSDISTOISIOSDIHIDISTRISI