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बृहस्पति
शुक्र
शनैश्वर
दहन
अभिव
= पुष्प पुखराज स्फटिक
w
राक्षस
हरित
=
रविवाराद्या क्रमतो वाराः स्यु कथित जटिल केशावे: वारा मंदस्य पुनर्विदद्यादाशी विषस्यापि
॥ २६० ॥
इन ऊपर कहे छुए सूर्य आदि ग्रहों के वार रविवार आदि है केतु व आशि विष सर्प और शनिश्वर दोनों का ही शनिवार होता है
58/595 विधानुशासन 9595PSPSS
उन सूर्य आदि ग्रहों की दिशाएं क्रम से निम्नलिखित हैं।
सूर्य
=
पूर्व
अनिल
यम
यक्ष
त्रिनयन =
=
=
इंद्रनील (नीलम)
=
इंद्रा निल राम यक्ष त्रिनयन दहनाध्वि राक्षसां
हरितः इह कथित जटिल केश प्रभृती नास्युः क्रमेण दिशः ॥ २६१ ॥
इन्द्र
अनि
दक्षिण
नैऋत्य
पश्चिम
वायु
उत्तर
ईशान
=
ऊपर आस्मान
इह कथिता शादि युतैः स्वच्छां बुभि गंध पुष्प उल भक्षै:, सप्तैकाविशांति र्वादिवां दिनानि नामान्ये यं जिज्ञाशायां ॥ २६२ ॥
इति नाग पूजा विधि
इस प्रकार कही हुई दिशाओं आदि से युक्त इन नागों की स्वच्छ जल चंदन पुष्प फल और भक्ष द्रव्य नैवेद्य से इक्कीस आदि दिनों तक पूजा करें
नवग्रहों की बलिदान विधिः
अथ पूजां प्रत्यहं भोमध्ये बलिं स्वदिश्ये वं दद्यान्न व गृहेभ्यः सन्मंत्री वक्ष्य माणममु
॥ २६३ ॥
959595959595954. P959595959नक
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