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CARCISIOTECISIOTICE विधानुशासन PADOSTOTRICISTRESS जिसके बिलको सर्प नक्षत्र और धनुष तथा वृष राशि के चंद्रमा में सात अंगुल की मुरष्कर (भिलावा) कील से खोदकर उसमें ऊपर नीचे कीलों को गाड़ा जाता है।
व्याधात शंकुमथवा सतारक व्युपकर स्थिते शशिनि
निरवने दाखुभ्योभीन्नजातु जायते तत्स्थेभ्यः ॥११९ ॥ ऐसे नक्षत्रों और चंद्रमा में बिल के खोदने वालों को और वहाँ रहने वालों को चूहों से कभी भय नहीं रहताहै।
यहागमूत्रभावितजत्योतु पुरीष लिप्ततमुरारः
सगृहस्थानन्या नप्यारखुन्नुच्चाटोद चिरात् ॥१२०॥ यदि एक चूहे को पकड़कर व्यकरी के मूत्र में भावना दिये हुए उग्र बिलाय के भिष्टे में लपेटकर छोड़ दिया जाये तो यह चूहा और चूहों को भी घर से भगा देता है।
अर्क दल्सथं यनत्वं स्नूही क्षीरभाषकूलमाष युतं
जग्धां मदेन सुप्ताः प्रबुध्य दूरं गृहाद्वि नियाति दषातः ॥ १२१ ॥ आक के पत्ते पर तेल स्नुही(थोहर) के दूध उड़त और कुलथी को अपने घर रख्ने दे बैल उसको खाकर मद से सो जायेंगे और जागने पर फिर से भाग जायेंगे।
सज्जश्री सुरभिः पुरंकमि रिपुः श्वेतांग का शिफा भल्लांतास्थि वसुंधरा कुहगदः पुष्पं फलं चार्जुनं
॥१२२ ॥
एतैरद्भूत शक्तिभिः विरचितो धूपो गृहे मूषिकान
लूता वृश्चिक मलकुणाहि मशकांचोच्चाटो देश्मनः ॥१२३॥ सर्ज (सर्जरक) श्री (बैल) सुरभि(राल) पुर(दाहागुरु) कृमिरिपु (बायविडग) श्वेताग कर्ण (सफेद कोयल की जड़) भिलावे की गुठली वसुंधसाखजूर) कूहगद (नीलकमल) के फूल फल और अर्जुन इन अद्भुत शक्तिशाली औषधियों से बनाई हुयी धूप घर में से चूहे मकड़ी बिच्छु खटमल सांप और मच्छरों को भगा देती है। मूषक विषादः प्रतिकार
हां ह्रींहूं कारेन्य पठतः पंचाक्षरी रवे मंत्रैः।
अयंम रिवलं लूतानां हरति विषं विषम मपि सद्यः ॥१२४॥ ह्रां ही हूँ हौं हः इस पंचाक्षरी सर्प मंत्र को पढ़ने से यह सब प्रकार के विषम विष को तुरन्त दूर कर देता है।
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