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CHRISIOSISTERISTR5 विधानुशासन V5050150151015OTES
वानरस्य मुखं घोरमा दित्य सम तेजसं,
ज्वर में कांत मुष्णं स्यात् नामांतरितमालिरयेत ॥२५॥ सूर्य के समान तेज याले यानर के घोर मुरम को नाम के अक्षरों से घिरा हुआ लिखने से यह इकांतरा बुखार उष्ण ज्वर पूर्ण रुप से हो जाता है।
क्षि
मास
पथ्वी मंडल मध्ये यंत्र प्रचिलिरख्या दर्शयेत,
तस्या नाशयति ज्वरमथवा रक्षा मणि वंयनात् शीघं ॥२६॥ पृथ्वी मंडल में यंत्र को लिखकर दिखाने से तथा रक्षा मणि (कलाई) पर बांधने से ज्वर शीघ्र नष्ट हो जाता है।
ब्रह्मा वृतं नाम हिरण्या रेतःपुरं तथा संपुटितं विलिरव्य,
कोष्टां तराग्रेग्नि गजेंद्र वश्यं त्रिवायुवेष्ट्रां ज्यर नाशकारि ॥२७॥ ब्रह्मा (ॐ) से घिरे हुए नाम को अमि मंडल के संपुट में लिखकर उन मंडलों के अन्दर अग्नि (ॐ) और बाहर गंजयशकरण बीज (क्रौं) लिखकर सबके बाहर तीन यायुमंडल बनाये तो यह ज्वर नष्ट करने वाला है।
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