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15015015015DISIOS विद्यानुशासन 9851015IODSIONSDISIOS पर रुद्राक्ष) सर्व धान्य वच ,अजमोद , नमक, पांचो और अरीठा का फल समुद्र फल (निवृता) निसोथ इन सब वस्तुओं को प्रत्येक को पाक के साथ तेल मिलावे।
पश्चात् सद रावण विद्या मंत्रेण मंत्रोत् मंत्री, दश शत वारानैवं विधिना तैलं सुसिद्ध स्यात्
॥६४॥ फिर मंत्री उस तेल को खड़गै रावण विद्या मंत्र से एक हजार बार विधि पूर्वक अभिमंत्रित करे। अब यह तेल पूर्ण रुप से सिद्ध हो गया है।
शाकिन्यो पस्माराःपिशाच भूत महापचनशांति.
निर्विषतां याति विष तैलस्या भ्यंग नस्येन् ॥६५॥ इस तेल की नस्य की सुगंध से ही शाकिनी अपस्मार पिशाच भूत और अन्य ग्रह नष्ट हो जाते हैं और निर्विष हो जाते हैं।
विशालाटाः फलं पक्ष मेकं गोमूत्र भावितं. नसि दात हरेदब्रह्म राक्षसादि महा ग्रहान्
॥६६॥ इंद्रायण के फल को पंद्रह दिन तक गोमूत्र की भावना दे उसकी नस्य देने से ब्रह्म राक्षस आदि बड़े बड़े शह नष्ट हो जाते हैं।
सितांग कर्णिका मूलं तांबूलोदक कल्पितं,
सतंन सिन्यस्त स्याद् भूत ग्रह विनाशनं ॥६७॥ सफेद रोहिडा में ठासिंगी की जड़ को पान के रस में बनाये हुये कल्क में घृत सिद्ध करके सूंघने से भूत और ग्रहों नष्ट हो जाते हैं।
व्योषा जमोद भूतध्वस्ति मूत्रेण कल्पितैः, कृत मुच्चाटयेदाशुना वनं निस्रिवल ग्रहान
॥ ६८॥ व्योष (सोंठ मिरच पीपल) अजमोद लहसुन को वस्ति के मूत्र में पकाये हुये कल्क को सूंघने से जंगल के सभी ग्रहों का उच्चाटन होता है।
कष्णा मरीच गोपित्त सैंधव रंजनं दशोः, भवेत् भूत ग्रह ब्रह्म राक्षसादि निवर्हणं
॥६९॥
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