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CROSTERSTRISODE विद्यानुशासन PASSISTRICTDICTION अनंत और कुलिक नाग ब्राह्मण वंश वाले अग्नि विषवाले होते हैं और चंद्रमा की कान्ति के समान श्वेत होते हैं। उनके शरीर में नैवेद्य की सुगंध आती है और यह दिन चढ़े पर दोपहर से पहले पहल तक ही गमन करते हैं।
तक्षक महासरोजौ वेश्यो पीतौ मरूद गरलो, हिंग समदेह गंधौ जानिह्य परान्हे संचरणौ
॥७॥ तक्षक और महासरोज (महापद्म) नाग वैश्यकुल वाले पीले रंग वाले और वायु विष वाले होते हैं। उनके शरीर में हींग की जैसी गंध आती है और यह दोपहर ढलने पर सायंकाल के पहले पहले तक ही चलते हैं।
दृग्मस्तक स्थ विंदुः स्त ध्वाक्षः शेषवंश संभूतः
वासुकि कुलजः स्वस्तिक युक्त शिरावाम पार्कुक्षी ॥८॥ शेषवंश में पैदा हुए नाग के नेत्र और मस्तक पर बिंदु होती है और उसके नेत्र जलते हुए से लाल होते हैं। वासुकि के कुल में उत्पन्न हुए नाग की आंख के बाईं तरफ सिर के ऊपर स्वस्तिक का चिन्ह होगा।
तक्षस्य बिंदु पंचक संयुत मूर्द्धाति शीय परिटयटनः,
वंशोभवो वगम्य स्वदक्षिण्य यांग विप्रेक्षी ॥२॥ तक्षक सर्प के सिर पर पांच बिन्दु होती है- वह बड़ी जल्दी-जल्दी अपना सिर हिलाया करता है। इसप्रकार सर्प के वंश की उत्पत्ति पृथ्वी पर जानो यह अपने दाहिने अंग की तरफ गमन करता
योभुजग एक रेवा लांछित कंठं त्रिशूलयुत मूर्दा,
ककोट वंश जो द्वेकित वृक्षाः सदा प्यटतः ॥१०॥ जिस जाग के कंठ पर एक रेखा तथा मस्तक पर त्रिशूल हो और टेढ़े मेढ़े वृक्षों पर घूमने वाला हो उसे कर्कोट वंश का नाग समझना चाहिये।
आत्मीयं उत्तमांगं चिन्हतमं भो रूहेण यो भुजगः,
विभाणः सचल यत्पुच्छं सो भोज वंश भवः ॥११॥ जो नाग अपने सिर पर कमल का चिन्ह लिये हुए अपनी पूँछ उठाते हुए चलता है वह अंभोज वंश में पैदा हुआ होता है। CSCISIOTRIOTICISTRICT05६०६ DISTRICKSTOISTORRISODE