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959595959595 विद्यानुशासन 95952950555
ॐ सुवर्ण रेषे कुकुट विग्रह रुपिणी स्वाहा ॥ इयं तोयाभिषेक करणे सुवर्ण रेखा विद्या
उपरोक्त लिखित भेरुंडा देवी के मंत्र को दष्ट पुरुष के कान में जपने और उसको उपरोक्त सुवर्ण रेखा मंत्र के अभिमंत्रित जल से स्नान कराने से दष्ट पुरुष का विष उतर जाता है।
भूजल मरुन्न मोक्षर मंत्रेण घटाम्बु मंत्रितं कृत्वा पादादि विहितः धारा निपात नाद भवति विष नाश
॥ १९१ ॥
भूक्षि जल प मरून स्वा नभोक्षरा हा मंत्रेण क्षिप स्वाहेति अक्षर चतुष्टयं मंत्रेण घटाम्बु मंत्रितं कृत्वा ॥ ११२ ॥
कलशोद कमनेन मंत्रेणाभिमंत्रितं कृत्वा पदादि विहित धारा निपात नात
अपादमस्तकाधिकृत जल धारा निपात नात भवति स्यात विषनाशन
मंत्रोद्धारः
क्षिप स्वाहे निर्विषीकरण मंत्रः
॥ १९३॥
॥ १९४ ॥
इस मंत्र से घड़े के जल को मंत्रित करके सिर से पैर तक डालने से विष नष्ट होता है । ॐ नमो भगवत्यादि मंत्र अष्टोतरशतं पठित्वा क्रोश पटहं त्राटय दष्ट संनिधो ।
ॐ नमो भगवत्यादि मंत्र दक्ष माण मंत्र अष्टोतरशत
अष्टाधिक शतं पठित्वा पाठनं कृत्वा क्रोश पटहं
क्रोश डमरू कं त्रायेत त्राटनं कुर्यात क्क दष्ट संनिधौ दष्ट पार्श्वे ॥ १९५ ॥
ॐ नमो भगवती वृद्ध गरुड़ाय सर्व विष नाशिनि सर्व विषं छिंद छिंद भिंद भिंद गृन्ह गृन्ह एहि एहि भगवती विधे हर हर हु फट् स्वाहा ॥
६६१
दष्ट श्रुतौ कोश पटह घाटन मंत्र:
विष को दूर करने के लिये उपरोक्त मंत्र को एक सौ आठ बार पढ़कर दष्ट पुरुष के सामने खूब बाजे बजायें।
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