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SSCIRRIORISEASO5 विधानुशासन PARISTOTRIO5015555
ॐझल्यू ज्यालामालिनी ह्रीं क्लीं ब्लू ट्रां द्रीं ह्रां आंकों क्षीं ह्रीं ब्लू क्लीं ट्रां द्रीं
ज्यालामालिन्याज्ञापादित हा ट: ठ: । यह ॐ से रहित मुष्टि ग्रहन मंत्र मन में अपनी श्यास रेधक के समय बोले।
पिंडन बिना हाः फट घे फट स मंत्रेण तत्रत्रवान्य
स्मिन चा कुर्याद्गृह संक्रामं मुष्टि विमोक्षण सन्मंत्री ॥७१॥ ॐज्वालामालिनी ह्रीं क्लीं ब्लूं ट्रां द्री ज्वालामालिन्याज्ञापयति हाः फट घे घे।।
मुष्टि विमोक्षण मंत्रः मुष्टि विमोक्षण मुद्राः यह मुष्टि विमोक्षण मंत्र है इससे भी ग्रह दूर हो जाते हैं।
पिंड स एव विनयादि का स्व पंच तत्वान्वितो निरोध युतः, सर्वेषां ग्रह नानां कुरू सर्व निग्रहां स्तथा हाः हुं फट ये ये ॥ ७२ ।।
ॐक्षय्य ज्यालामालिनी ह्रीं क्लीं बलूंद्रां दी ज्ञाझी झंझौझा हाः सर्वदुष्ट ग्रहान
स्तंभय-स्तंभय ताइय-ताइय दह-दह पच-पच भेदय-भेदय हाः हां आं को क्षीं .. ज्यालामालिन्याज्ञापयति हुं फट घेघे॥ .
इष्ट निग्रह कर्म मंत्रः इप्सित कर्म मंत्रः तर्जनी मुद्राः । यह दुष्ट निग्रह कर्म मंत्र होने पर दुष्ट मुद्रायाला तथा ईप्सित कर्म मंत्र होने पर तर्जनी मुद्रायाला मंत्र होता है।
ॐ कांत पिंड पंच स्वर युत तल रेफ सहित कपरश्च हाः फट सो टो सर्वग्रह गल मंगं कूरू युगं घे घे ॥
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ॐ रम्ल्यू ज्वालमालिनी ह्रीं क्लीं ब्लू द्रां द्रीं वां रवीं रखू रखौं राः हाः फट घे ये सर्वेषां ग्रह नाम्रा गल भंगं कुरू-कूरू हां आं क्रों क्षी ज्वालामालिन्या ज्ञापयति हुँ
फट ये ये॥ यह गल भंग मंत्र है। इसकी गल भंग मुद्रा खलिन मुद्रा है। SSIOTHRASOISRASTRI5T05[५७३ PISTRITICISIOISSISESSIST