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0501510652I5DIST25 विधानुशासन 95DISTOTHRISTOISTRIES
ब्राह्मणी माहेश्वरी कौमारी वैष्णवी चैव वाराही, ऐंद्री चामुंडा च महालक्ष्मी मातृकाश्चेताः
॥१५॥ ब्राह्मणी माहेश्वरी कौमारी, वैष्णवी, वाराही ऐंद्री, चामुंडा और महालक्ष्मी यह आठ मातृका है।
वर पद्म राग शशिधर विद्वम नीलोत्पलेटुनील, महाकुलशैल राजवातार्क हंस वर्ण क्रमेणेताः
॥१६॥ इनके रंग क्रम से सुंदर पदम राग (लाल),चन्द्रमा मूंगा, नीलकमल ,इन्द्र नील मणि सुमेरु पर्दत बाल सूर्य और हंस जैसा है अर्थात् प्रत्येक देवी को क्रम से इनके समान रंगाली बनावे।
नीरज वृषभ मयूरा गरूडवराहौ गजस्तथा,
प्रेतः मूषक इत्येते सांप्तोकतानि सुबाहनानि बुधः ॥१७॥ पंडितो ने इनके वाहन क्रम से कमल, बेल, मोर, गरुड, वराह, ऐरावत, हस्ती प्रेत और चूहा बतलाया है।
कमल कलशौ त्रिशूलं फल वरद करौ च क्रमथ,
शक्ति पाशौ वजं च कपाल कार्तिक परशु शस्त्राणि ॥१८॥ इनमें से ब्राह्मणी के कमल और,कलश, माहेश्वरी के त्रिशूल, कौमरी केफल और वरद हाय (वर को देने वाला), वैष्णवी का चक्र, याराही का शक्ति और पाश, ऐंद्री का वज़, चामुंडा के कपाल और बत्ती (दीपक) और महालक्ष्मी का परशु अस्त्र है।
तत् प्रातिहार्योथ जया विजयाप्यजिता पराजिता,
गौरी गंधारी राक्षस्यथ मनोहरी चेति दंडकाराः ॥१९॥ इनके पीछे चलने वाली क्रम से जया,विजया,अजिता,अपराजिता, गौरी, गांधारी, राक्षसी और मनोहरी यह आठ प्रतिहारी दंड करनेयाली देवियाँ हैं।
वाह्ये अष्ट दिग्गतैष्यथ कोष्टेष्विद्रादि लोकपालास्तान,
निजवाहनादिरूठान स्वायुधवर्णादि युतान विलिश्वेत ॥२०॥ अब दिशाओं के बाहर के आठ कोठों में इन्द्रादि लोकपालों को अपने -अपने वाहन पर चढे हुये शस्त्र और वर्ण सहित लिखें।
तदुभव पाश्वाधिष्टित कोष्टेष्यिद्रांदि लोक पालानां,
मेश महामेट ज्याल लोल कालास्तथ्या नीलः ॥२१॥ SODEOSDISISTERISTRISTOT5/५८५ PIRRISTRISTRISTOTHRISRIES