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CASIOI50151215101505 विधानुशासन PASICISIOI5015125IONS
ॐ हीं को म्ल्यू श्वेतवर्ण सर्वलक्षण संपूर्ण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह मपिरवार हे ईशान तिष्ठ-तिष्ठ ठाठः स्थापनं ॥
ॐ ह्रीं क्रौं म्ल्यू शेतवर्ण सर्वलक्षण संपूर्ण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपिरवार हे ईशान सन्निहितो भव-भव वषट स्वाहा सन्निधि करणं ।।
ॐ ह्रीं क्रौं ठल्च्यू श्वेतवर्ण सर्वलक्षण संपूर्ण स्वायुध वाहन वधु चिन्ह सपिरवार हे ईशान आत्मद्वारं रक्ष-रक्षइद मध्ये पाद्यंगंध अक्षतं दीपंधूपंच बलिंफलंगृहगन्ह स्वाहा अर्चनं ॥
ॐ ह्रीं कौं व्ल्यू श्वेतवर्ण सर्वलक्षण संपूर्ण स्वायध वाहन ता तिल्ल सपिरवार हे ईशान स्वस्थानं गच्छ-गच्छ ज जजः विसजनं ।।
इति सामान्य मंडलं
॥अथ सर्वतोभद्र मंडल कथ्टाते।। रेवां चिंतयेन नटोन परस्पराग्र विरेन पंच वर्णेन,
चतुरस्त्रमष्ट हस्तं सविस्तरं मंडलं लिरवेत् ॥१२॥ एक आठ हाथ के चौकोर विस्तृत मंडल को पांच वर्ण की तीन रेखाओं से जिनका अग्र भाग आपस में बिंधा हुआ हो बनाये।
चतुसृषु दिक्षु द्वे द्वे रेवे दद्यात् त दद्ध परिमाणे, एवं सतिषट्स्रष्टा दिक्षु विदिक्ष्वपि च चत्वारः
[॥१३॥ चारों दिशाओं में दो दो रेखा आधे परिमाण में बनावे । इस प्रकार दिशाओं में छ: कोठे और विदिशाओं में चार कोठे हो जायेंगे।
आभ्यंतराष्ट दिग्गत कोष्टेष्वध मातृका गणं विलिरवेत्,
सनिजा सनया स्वायुध स रहिताः प्रतिहार्यः शेष कोष्टेषु ॥१४॥ विदिशाओं के अन्दर के आठ कोठों में मातृका गण उनके आसन सहित लिखें और शेष कोठों में उनके प्रतिहार्यों को लिखे।
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