________________
252525252595_fangenen Y52525252595
उसका मुख ईशान कोण की तरफ हो और वह मंडल गड्ढ़े जल तथा कंटकरहित समभूमि में आठ हाथ की भूमि में नय खण्ड का बनाया जावे । उसमें पांचों रंगों के श्रेष्ठ चूर्णो से चार दिशाओं में चार दरवाजे बनावे और उनको अनेक प्रकार की ध्वजा पताका दर्पण और घंटिकाओं से सजाकर सुंदर बनाये ।
अश्वत्थ पत्र विरचित तोरण सत्पुष्प मंडपोपेतं सकल दिक्षु निवेशित मुसलाग्रन्यस्त पूर्ण घट
|| ४ ||
तस्मिन् प्राच्याधष्ट सुकोष्टे सु इंद्राग्रि मृत्यु नै ति वरुणान् मारूंत धनद ईशान लक्षण युक्तान लिखत् मतिमान्
॥ ५ ॥
उसके द्वार पुरुष के प्रवेश करने योग्य बनाकर, उसको पीपल पत्तों की बादरवाल बनाकर, तोरण लगावे और अच्छे फूलों से उस मंडप को सजावे। उसकी सम्पूर्ण आठों दिशाओं में मूसल के आगे जल से भरे हुये आठ घड़े रख देवे । बुद्धिमान पुरुष उसके पूर्व आदि आठ कोनों में इन्द्र, अग्रि, यम, नैऋति, वरूण वायु कुबेर और ईशान देवों सब लक्षणों सहित करके लिखे ।
शुक्रं पीतं वह्नि वन्हिं निभं मृत्यु राजमति कृष्णं हरितं, नैऋतिम परं शशिप्रभं वायु मसितांगं
॥ ६ ॥
घनदं समस्तं वर्णं सितमीशं मनुक्रमेण सर्वान् विलिखेत, गज मेष महिष नर मकरोधन भृग तुरंग वृष वाहानान ॥ ७ ॥
इंद्र को पीला, अग्नि को अग्नि के समान, यम को अत्यंत काला, नैऋति को हरा, वरुण को चन्द्रभा के समान, वायु को मटियाला जो असित हो सफेद नहीं हो, कुबेर को सब रंगों का और ईशान देव को सफेद रंग का बनाये। यह सब इस अनुक्रम सबको लिखे। इनके वाहन क्रम से ऐरावत हाथी मेंठा भैंस जर मगर दौड़ता हुआ मृग घोड़ा और बैल बनावे।
वज्राग्नि दंड़ शतायसि पाश महातरूंगदात्रि शूलकरान, परिलिव्य लोक पालान मध्ये भूतादि कृतिं विलिख्येत्
॥ ८ ॥
इनके हाथ में क्रम से वज्र, अग्नि, दंड, शक्ति, तलवार, नागपाश, बड़ा वृक्ष, गदा, त्रिशूल देकर इन लोक पालों के बीच में भूतादि की आकृति बनावे |
969595196959934७९ P5969595959595