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5015100500RIODOS विधानुशासन 9595DISEXSTD1510155
विधुन्निभमावेशं गन्हाति च बदति कौलिकी
भाषां धावति बेगेनेति च स्त्री ग्रहस्य लक्षणं प्रोक्तं ॥१९॥ ऐसा व्यक्ति बिजली के समान आवेश को ग्रहण करता है, ऊंची ऊंची बातें करता है और वेग से दौड़ता है। यह दिव्य स्त्री ग्रह के लक्षण कहे गये हैं।
पाप कल्मष नामानौ विद्यते जगति ग्रहो, मांषाभिलाषिणे नित्यं कुत्सितांबरधारिणौ
॥२०॥ संसार में दो ग्रह पाप और कल्मष नाम वाले हैं - यह सदा ही मांस की इच्छा किया करते हैं और बहुत ही बुरे वस्त्र पहने रहते हैं।
मिथ्या ग्रहा स्तथान्टोपिविद्यते तानपिह विद्वांसः,
सत्य ग्रहान् प्रकुर्वन्ति शेमुषी विभव बलेन ॥ २१ ॥ विद्वान लोग मिथ्या ग्रहों को (अदिव्य ग्रहों को) तथा कोई अन्य ग्रह हो उनको भी सत्य ग्रहों में (अदिव्य ग्रहों को) तथा अपने बुद्धि के बल से बदल देते हैं।
अक व ग घ ड़ा श्च ट त पाह शर पल सल क्ष बहर श्चान्योन्यं परिवर्तिते । ण नामानि दृष्टि देव भूत कोलिक मेतत्
॥ २२॥ इन ग्रहों का निवारण अ क ख ग घ ड. ट त प य श र ल स क्ष व ब ह र ल से एक दूसरे को न ण न से युक्त करके भूत और देयों का कीलन होता है।
आकार में प्रयोगेन भाषा स्याद्देव कीलिका, रकारेण समं विद्याना भाषां भूत कीलिका
॥२३॥ आकार के प्रयोग वाली भाषा को देव कीलिका और रकार के साथ प्रयोग की जाने वाली भाषा को पूरुष भूत कीलिका जाने।
पुरुष ग्रहोऽथ पुरुषं स्त्रियं तथा स्त्री ग्रहो न गन्हाति,
गन्हाति स्त्री ग्रहोपि पुरुषं ग्रहणाति स्त्री ग्रहं पुरुषं ॥२४॥ साधारणतः पुरुष ग्रह पुरुष को और स्त्री ग्रह स्त्री को ग्रहण नहीं करते किन्तु पुरुष ग्रह स्त्री को और स्त्री ग्रह पुरुष को ग्रहण करते हैं।
ಆಥ5449 YEFಭಾಷಣ