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SADISDISTRIDICASEA5 विधानुशासन HEIDISTRISIOSISISTOIES में पीसकर बालक के शरीर पर लेप करे तथा नख सफेद सरसों और नीम के पत्तों को मिलाकर धूप दें। ऐसा करने गे सहाही बालक को गोड़ देती है।
ॐ नमो भगवति घंटाली सर्व विरोध स्तंभिनी सर्वराक्षस पूजिते दीर्य केशि पिंगलाक्षी उन्नत दष्ट्रे लंब स्तनिशुष्क गात्रे क्लीं क्लीं क्रौं क्रौं ऐहि ऐहि आवेश इमं बलिं गृह गृह बालकं मुंच मुंच स्वाहा।
चौथे दिन के बालक की रक्षा
चतुरात्रि भवं बालं बाहिसी नामि का ग्रही महीन्ते यदि तस्यास्यात् फेन स्टो द्वमनं तथा
॥ २४॥
दिशा निरीक्षणं रोधों गात्र स्योद्वेजनं पुनः पंचधा पूप भेदां च कुलमाष कृसरैः सहा
॥२५॥
दुग्धान्नं गंध पुष्पादि बलि दद्यात्समंत्रक रात्रोऽपित वने धीरः पटा लोकेन वर्जितः
॥२६॥
गज दंताऽहि निर्मोक श्वेत सर्षपमादरात् अजा मूत्रेण संपेष्ट लेपोत्मतिमान् प्रजा
॥ २७॥
कपि रोम गज नरव निंब पत्रैः सुधूपयेत् एवं प्रति विधानेन बालं मुंचति सा ग्रही
॥२८॥ बालक को चौथे दिन बाहिसी नामकी गृही पकड़ती है। यदि उस दिन कष्ट होतो बालक झागवाली वमन करता है । दिशाओं की तरफ देखता है। उसका अंग रुक कर सारा शरीर काँपने लगता है। उसके लिये पाँच प्रकार के पूर्व कुलथी कृसर (खिचड़ी) दुगधान्न (खीर) चंदन पुष्पादि की बलि मंत्र सहित रात्रि के समय श्मशान में लोगों से बगैर टोके हुये दे।फिर वह बुद्धिमान बचे के शरीर पर हाथी दांत सर्प बंदर के बाल हाथी का नाखून नीम के पत्ते की धूनी दें। इसप्रकार कार्य करने से यह गृही बालक को छोड़ देती है। ॐनमो भगवतीवाहिसीरावण पूजित दीर्य केशी पिंगलाक्षी लंब स्तनिशुष्क गात्रे ऐहि ऐहि ह्रीं ह्रीं क्रौं कौं आवेशय आवेशय इमं गन्ह गन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा।। CSSIOASTISEASESSIO5055 ४५० PISOTICISTORICISCISISTER