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विधानुशासन 959595959
याच थदा चूर्णंतु कसरं तथा बलिं निर्दयात् सायान्हे श्मशाने मंत्रपूर्वके
॥ ५८ ॥
पस्तगर मंजिष्टां कुष्टा सिद्धार्थ पिठकै : कार्पास्थी च धूपः स्यात् ततो मुंचति साग्रही ॥ ५९ ॥ यदि ग्यारवें दिन बालक को महात्मिका नामक की देवी पकड़े तो श्वास खांसी ज्वर हो जाता है। उसके लिए उड़द का भोजन दही उड़द के चून की खिचड़ी की बलि सायंकाल में श्मशान में मंत्र पूर्वक दें । तगर मंजिठ कूठ सफेद सरसों पिच्छ मोचरस सैभंल का गोंद का लेप करें। तथा कपास के काकड़े की धूप दे तो वह ग्रही बालक को छोड़ देती है।
ॐ नमो भगवति महात्मिकायै मा निर्द्दयायै पितृ वन्माल्यानुलेप नायै बहुशस्त्र धराौरूधिर मांस प्रियायै प्रभूत वैताल परिवृतायै मुक्ताट्ट हासायै एहि एहि आवेश्य आवेषटय ह्रीं ह्रीं क्रोंकों भगवति स्वशासन प्रिये इमं बालं मुंच मुंच बलिं गृह गृह स्वाहा ।
बारहवें दिव की रक्षा
द्वादशाहिक बालं तंगृहीते काकिनासिका ज्वरः पयस उद्गार आनाहश्च तदा भवेत्
पंच, वर्ण चरुं लाजां माषान्नं लाज चूर्णक मत्स्याक्षि शाकं सायन्हे न्यसेद्वाप्यां समंत्रकं
॥ ६० ॥
॥ ६१ ॥
चंदनोशीर कष्टैस्तु लेपवेद धूपनं तथा निर्माल्य वृहती भ्यां तु बालं मुंचेत् ततो ग्रही ॥६२॥ यदि बारहवें दिन काक नाशिका नाम की ग्रही बालक को पकड़े तो बालक के ज्वर होता है । दूध डालने लगता है। उसका मलमूत्र गिरना बन्द हो जाता है। उसके लिये पाँचो रंगों को नैवेद्य धान की खील उड़द का अन्न चावलों का चूर्ण मछली की आँख और शाक की बलि को सायंकाल के समय पश्चिमोत्तर कोण में (वायव्य कोण में) वापिका में मंत्रपूर्वक रख दें। चंदन खस कूठ का और निर्माल्य (पुजापा) तथा बड़ी कटेली से धूप दें तो ग्रही तुरन्त बालक को ठोड़ देती है। ॐ नमो भगवति काकनामि के महाभीषणी ऐहि ऐहि आवेशय आवेशय ही ह्रीं क्रौं इमं बलिं गृह गृन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा ।
こらこらからどちらからおらでらでらでらでらでらでら