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फूल 'अशोक मोलश्री का बार बार लेप करने से योनि तंग होती है। शुष्क हो जाती है।
केशर के
शाल्मली वृक्ष निर्यास धावत्या यंड साधितं प्रक्षालनेन योनिनां धूपादयति गाठतां
॥ ५२ ॥
शेमल का गोंद घातकी (धाय के फूल) के काठे से धोने से और उसी की धूप से देने से योनि गाठी और तंग हो जाती है।
बेगा फल दलैः स्वेदो योनि रंधा न्निर स्वति वंध्या कंद प्रलेपो या गुदभ्रंशेप्पयं विधिः
॥ ५३ ॥
बेगा फल के पत्तों के लेप से योनि का पसीना निकल कर तंग हो जाती है तथा बांझ ककोडी की जड़ का लेप भी संकोचन के योग गुदभ्रंश (गुदा फट जाने) के भी प्रयोग है।
तक्रेन माधवी मूलं पीतं मध्यस्य कर्षणं प्रातः करूकंप या भक्षिता सह सर्पिषा
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माधवीलता के मूल को छाछ के साथ पीने से अथवा प्रातःकाल घृत के साथ कसेरू कंद को खाने से भी मध्य योनि तथा गुदा जुड़ जाती है।
कुसरं सप्तं क्षीर शर्कराभ्यां समन्वितं स्तन्याभिवृद्धये धाय्या भोजनं परिकल्पयेत्
॥ ५५॥
दूध बढाने के वास्ते बच्चे की माँ को घी दूध और शक्कर से मिली हुई खिचड़ी का भोजन दें!
यष्टि मधुक संयुक्तं गव्य क्षीर सशर्करं
पीत्या धात्री भवेद्भूरि स्तन्य पूर्ण पयोधरा
॥५६॥
मुलहटी तथा शक्कर मिले हुये गाय के दूध को पीने से धाय के स्तन में दूध बहुत अधिक बढ़ जाता है।
दुग्धेन सितया पीतं शालि तंदुलजं रजः बिदारी कंद चूर्णेवा विदध्यात्स्तन्य वर्द्धनं
॥ ५७ ॥
शक्कर मिले हुए दूध में शालि चांवलों के आंटे को अथवा विदारी कंद के चूर्ण को पीने से दूध बढ़ जाता है।
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