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SASRISTRASIRIDIOTECT विद्यानुशामद RSCIECTRICISCIECTOR बालक घिसे हुवे सोने के साथ बराबर लिये हुंदक्य को पीछे वाले डरे उमाम मुसिको वृद्धापी और शुक्र का पूजन करे।
पीत्वा क्षीरमनंतरं सित रुजाया शंरव पुष्पी रजो यो लिह्या द्विधिना शिशप्रतिदिनं हैटांग बीनान्वितं तस्यास्यात्कवितादि कादि महती बुद्धि गंभीर स्वरो
वीय दुर्जय मायुर प्रतिहतं सौगंध्या हवं वपुः ॥३२॥ जो बालक शंख पुष्पी के चूर्ण को एक रात के रखे हुये दही के मक्खन के साथ प्रतिदिन चाटकर ऊपर से दूध पीता है उसकी बुद्धि कविता आदि के करने से प्रवीण होकर गंभीर स्वर दुर्जय शक्ति खंडित नहीं होने वाली आयु और शरीर से सुंदर सुंगध हो जाती है।
धात्री सुवर्ण योश्चूर्ण यो लिह्यात पृत मिश्रितं कुमारो धिषिणांत्तस्य धिषणस्टो च वर्धत
॥३३॥ जो बालक आवंले के फल और सुवर्ण (धतूरा) अथवा सुवर्ण भस्म के चूर्ण घी के साथ मिलाकर चाटता है । उसकी बुद्धि वृहस्पति के समान बढ़ जाती है।
यष्टिवा शंख पुष्पी वा पीत्वाक्षीरेण कल्किता
बालानां महतीं मेयां कुर्यात् याचच शोधयेत् दूध में कल्क की हुई मुलहटी या शस्त्र पुष्पी को पीने से बालकों की बुद्धि खूब बढ़ती है और वाणी शुद्ध होती है।
पतेन ताम्र कांडायाश्चूर्ण ब्राहयाः प्रगे लिहन बाही वा के वलं खादन्नतिशते बहस्पति
॥३५॥ ताम्र कांडी (लालचंदन) तथा ब्राह्मी के चूर्ण को घी के साथ चाटकर या केवल ग्राही को ही खाने से बालक की बुद्धि बृहस्पति से भी बढ़ जाती है।
बाह्मया रसेन दुर्गंध फल चूर्ण समं शिशोः भावितः सपिषा लीठो मेघा कृत दुग्ध भोजनः
॥ ३६॥ दुर्गंध फल चूर्ण (कांदा) को ब्राह्मी के रस की भावना देकर घी के साथ बालक को खिलाकर दूध का भोजन कराने से बुद्धि बहुत बढ़ती है।
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