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9595905951 1 विधानुशासन 9595959995
आहारं पासा युक्तं भर्तार सह भोजयेत् तेन पुत्रं प्रसूयेत बंध्या या द्दष्टमौषधं
नीलोफर की जड़, शतावरी जीवा पूता के फल, धान की खील, महुवे के फूल, कमल की केशर ढांक (पलास) के फल, इन सबको समान भाग लेकर उत्तम वेध इनका चूर्ण बनाये और उसनें मधु और शकर मिलाकर गोली बनावे। इनमें से तीन गोलियां जो तोल में एक वर्ष के बराबर हो. प्रातःकाल तीन दिन तक स्त्री को ऋतुकाल के समय दें। तो अत्यंत दुर्लभ पुत्र रत्न मिलता है। उस समय पति पत्नी दुग्ध युक्त आहार करे। उस औषधि के सेवन से बंध्या स्त्री भी पुत्रोत्पत्ति करती है ।
॥ कल्याण धृत "
मंजिरा नधुकं कुठं त्रिफला शर्करा वचा अजमोद हरिद्रे द्वे सिंही तिक्तक रोहिणी
काकोली क्षीरकाकोली मूलं चैवाऽवां सगंधंजं जीवक ऋषभौकी मेङा रेणुका बृहतीद्वयं
उत्पलं चंदनं द्राक्षा पद्मकं देवदारु च येभिरक्ष समै भागौ घृत प्रस्थं च पाचयेत्
चतु गुणेन पयसा यथार्थ मृदु वन्हिना एतत्सर्पिनर पीत्वा स्त्रीषु नित्यं वृषायते
पुत्रा जनयते वीरौ मेधावी प्रय दर्शनः वंध्या च लभते गर्भ या च कन्या प्रसूयते
या चैव स्थिर गर्भा च मृत वत्सा चया भवेत् एतद्दैव कुमाराणां सर्वागग्रह मोक्षणं
धन्य यशस्यमायुष्यं कांतिं लावण्य पुष्टिदं ये चूर्णकेन प्रोक्ता एतस्यापि गुण स्मृता
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६। ४६ ।।
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959595969 ४०८ 95959695959
वजन