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RSCIRCIRCISTRICT विद्यानुशासन HEIDOSCIRCISESS
करं कतां प्रयत्नेन गो मूर्तिपरिवेशिनः स्थापितेन भवेन्मा गर्भ शल्यं विनिर्गमः।
॥१५॥ हड्डी मात्र बाकी रहे हुए गो के मस्तक को समीप रखने से गर्भशूल तुरंत दूर हो जाता है ।
मूल गृहीतमतवातं प्रपुन्नाट मद्यो मुरवं दर्शितं सध: ऐवस्वादअनायासा
पसूतये ॥१६॥ पंवाड को जड़ से उखाड़ कर नीचे को मुखसानी करके गर्भिनी को दर दिग्याने से दुरन्त ही प्रसव हो जाता है।
महिषी सपिंषा युक्तो यष्टी मला नौ पिबेत् अंगना गूढ गर्भाया सा विशल्या भवेत् ध्रुवं
॥१७॥ भैंस के घी के साथ मिलाकर पिलाये हुए मुलेहेटी और चंदन गूढ गर्भ वाली का भी तुरन्त ही कष्ट दूर कर देती है।
कवोष्णे महिषी क्षीरे साष्टाशाज्ये प्रसूतये यष्टि चंदनयो कल्कं पलार्द्ध मिति पिवेत्
॥१८॥ थोडे गरम भैंस के दूध में आठवां अंशघृत और चार तोले मुलहटी और चंदन के कल्क को मिलाकर पीयें।
पत्रं फलं च पलाशं पीतं दुग्धेन कल्कितं प्रसूति वेदना क्रांतां पाठयेत् वेदना पहं
॥१९॥ पलाश (ढाक) के पत्ते और फल के कल्क को दूध के साथ पीने से गर्भिणी का कष्ट तुरन्त ही दूर हो जाता है।
हिंगु सैधंय योः पीतं रथार्या कथितय रजं स्त्रियः प्रसूतयेत्सद्यः प्रसूतव्यसना तुरं
॥२०॥ हींग सेंधव नमक और खारी के नमक को काय करके पीने से स्त्री के प्रसूति का कष्ट दूर होकर शीघ्र ही प्रसय हो जाता है।
भूर्तेक्षु कांड स्व रसो नालिकेर फलांबुच अकथं जननं पीतं कुर्वते अविलंबतं
॥२१॥ लिसोड़े (ल्हेसवे) गन्ने का रस नारियल के फल का पानी पीने से प्रसूति का कष्ट बिना विलंब किये अर्थात तुरन्त ही दूर हो जाता है। CTSIDISTOIEDDICICIC05215 ४३१ PISIRSIRISTRICISIOSSIOSS