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एतदभिमंत्रिताभिः स्नायाद्वंय्या सुतं लभेताद्भिः
॥ २ ॥
स्नान मिदं ग्रह पीडा प्रभृत्यवपि सर्वदोषं हरां इस मंत्र के द्वारा अभिमंत्रित जल से स्नान करने से बंध्या को भी पुत्र प्राप्त हो जाता है। यह स्नान ग्रह पीड़ा इत्यादि सब प्रकार के दोषों को दूर करता है।
बंध्या पुष्करिणीतीरे मृतवत्सां शिवालये कूपे जीर्णे तटाके च काक बध्या शिवालयंत्
नद्योश्च संगमे श्रावि गर्भा दोषातरा श्रितां आरण्ये कमलिन्योश्च स्नापयेद्विधिनामुना
॥ ४ ॥
बंध्या को नदी के किनारे पुत्र मर जाने वाली स्त्री को शिवालय कूप या पुराने तालाब में तथा काक वंध्या को भी शिवालय तथा दोनों नदियों के संगम पर स्नान करावे गर्भ गिर जाने वाली अथवा अन्य दोषों वाली कमलों के बन में इस विधि से स्नान करावे ।
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लक्ष्मणाया उपादाने विधानमिदमुच्यते
मंत्र वन्नान्यत्राऽत्रा सायेत्फलाय प्रकल्पते
॥५॥
लक्ष्मण को लाने में इस मंत्र वाला विधान कहा गया है। अन्यप्रकार लाने से इच्छित फल की प्राप्ति नहीं होती है ।
प्रदोषे
चरु पुष्पाद्यैरभ्यविध्यतंतुना
रक्तेन खदिरान कीलान् दिश्वष्टा सु निखन्य च
॥ ३ ॥
खनन मंत्र
॥ ६ ॥
प्रदोष (सूर्यास्त से दो घड़ी पहिले तक) काल में नैवेद्य और पुष्पादि से पूजन करके बिना टूटे हुए लाल धागे से खैर की आठ कीलों को आठों दिशाओं में गाड़ दें।
कि वस्त्रों मुक्त केशश्च सन पुष्पै सोम दिग्मुखः प्रातः खदिर कीलेन निखने तां समंत्रकं
॥ ७॥
वस्त्र रहित केश खुले हेए सोम दिशा की तरफ मुख करके उसकी अच्छे पुष्पों से पूजन करके उस बूटी को मंत्र पूर्वक खेर की कीलों से खोदें।
ॐ ये नत्वां खनते ब्रह्मायेनें द्रोयेन् केशवः ते नत्वां व नाशिष्या मितिष्ट तिष्ठ महौषधि स्वाहा ।
:- यह खोदने का मंत्र है।
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