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विद्यानुशासन
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ॐ ह्रीं वीं श्रीं अहं ॐ णमो जल्लो सहि पत्ताणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रीं ह्रः अप्रति चक्रे फट
विचक्राय अनि आउसा झौ झौं स्वाहा ॥ ३५ ॥ अपस्मार प्रलाप नष्ट चिंता विष्टवं नाशयति
यह मंत्र मृगी प्रलाप चिंता से फंसे रहने को नष्ट करता है ।
ॐ ह्रीं इवीं श्रीं अहं ॐ णमो विप्पो सहि पत्ताणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र : अप्रति चक्रे फट विचकाय असि आउसा झौ झौ स्वाहा ॥ ३६ ॥
गजमारी शाम्यति
इस मंत्र से हाथियों की बीमारी नष्ट होती है।
ॐ ह्रीं इवी श्रीं अर्ह ॐ णमो सव्वो सहि पत्ताणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः अप्रति चक्रे फट विचक्राय स्वाहा ॥ ३७ ॥
मनुष्योमरोपसंग नाशयति
इस मंत्र से मनुष्यों और देवताओं के उपसर्ग दूर होते हैं ।
ॐ ह्रीं वीं श्रीं ॐ ॐ णमो मण वलिणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः अप्रचि चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौ झौ स्वाहा ॥ ३८ ॥
अपस्मारीं प्रशाम्यति
इस मंत्र से अपस्मार का रोग शांत होता है।
ॐ ह्रीं इचीं श्रीं अहं ॐ णमो यचि वलीणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रीं ह्रः अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झीं नौ स्वाहा ॥ ३९ ॥
अजमारो प्रशाम्यति
इस मंत्र से बकरियों की बीमारी नष्ट होती है।
ॐ ह्रीं इवीं श्रीं अहं ॐ णमो काय वलिणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रीं ह्रः अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौ झी स्वाहा ॥ ४० ॥
गोमारी शाम्यति
इस मंत्र से गायों की बीमारी नष्ट होती है।
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