________________
SASCI50150150505 विधानुरासन VSCISCI50505001
देवदेवस्य यच्च तस्य चक्रम्य या विभा
तयायादित मार्ग मां मा रिमत ग्रामिण देवों के देव श्री जिनेन्द्र भगवान तीर्थंकरों के समूह रूपी चक्र की प्रभा से ढके हुए मेरे शरीर के सब अंगों को शामिण जाति के जीव पीड़ा नहीं दें मुझे न सतावे ।
देवदेवस्य याच्चकं तस्य चक्रस्य या विभा
तयाच्छादित सांगं मां मा हिंसतु दुजना देवों के देव श्री जिनेन्द्र भगयान तीर्थंकरों के समूह रूपी चक्र की प्रभा से ढके हुए मेरे शरीर के सब अंगों को दुर्जना जाति के जीव पीड़ा नहीं दें मुझे न सताये ।
देवदेवस्या यच्चकं तस्य चक्रस्य या विभा तयाच्छादित सागं मां मा हिंसतु व्याधय
॥५ ॥ देवों के देव श्री जिनेन्द्र भगवान तीर्थंकरों के समूह रूपी चक्र की प्रभा से ढके हुए मेरे शरीर के सब अंगों को व्याधय जाति के जीव पीड़ा नहीं दें मुझे न सतावे ।
देवदेवस्य याच्यळं तस्य चक्रम्य या विभा
तयाच्छादित सांगं मा मा हिंसतु सर्वतः देवों के देव श्री जिनेन्द्र भगवान तीर्थंकरों के समूह रूपी चक्र की प्रभा से ढ़के हुए मेरे शरीर के सब अंगों को सर्यतः जाति के जीव पीड़ा नहीं दें मुझे न सतावे |
श्री गौतमस्य या मुद्रा तस्या या भुविलय्याः
तामिरन्यायिक ज्योतिरहःसर्व निधीश्वरः श्री गौतम स्वामी गणघर का स्वरूप जो मुनिराज से वन्दनीय है जिनकी लब्धी ज्योति पृथ्वी पर फैल रही है। उस ज्योति से भी अधिक ज्योति प्रकाश अर्हत भगवान की है। वह भगवान सब विद्याओं का खजाना है।
पातालवासिनी देवा देवा भूपीठ वासिनः
स्व स्वर्गवासिनो देवाः सर्वे रवंतु मामितः पाताल में रहने वाले दस प्रकार के भवनवासी देय पृथ्वी पर रहने वाले व्यंतर ज्योतिवी देव स्यकल्पवासी देव स्वर्गवासी देय यह सब देवी मेरी रक्षा करे। CSCIRICISCISCISCSC05 ३६५ PASCISCSCIRCTSENCE