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विधानुशासन 9/51751
उत्पल (कमल-नीलोफर ) तगर मीठाकूट मुलेठी और चंदन को बराबर लेकर बकरी के से पीसे ।
दूध
त्रिरात्रं पंच रात्रं वा यावत् श्रवति शोणितं ततो यौनौ विशुद्धाया भिमां दद्यान्महोषधीं
॥ २१ ॥
इस
औषधि को तीन रात या पांच रात जब तक रक्त निकलता रहे तब तक स्त्री को पिलाये फिर योनि के शुद्ध होने पर निम्नलिखित महाऔषधि को दें।
लक्ष्मणां क्षीर संयुक्तां नासे पाने च दापयेत् तेन सा लभते पुत्रं रूप वंतं महाद्युति
॥ २२ ॥
लक्ष्मणा को दूध में मिलाकर स्त्री को सूंघाकर पिलाएं इससे उसको महान कांती वाला रूपवान पुत्र की प्राप्ति होती है ।
सन्निपात हते पुष्पे ज्वर तीव्र प्रजायते
शोणितं तु भवेत्कृष्णामत्युष्णं नालं बहु
|| 23 ||
सन्निपात से स्त्री के रज के बिगड़ जाने से तीव्र ज्वर होता है उसके रक्त का रंग काला अत्यंत उष्ण और अधिक अधिक निकलता है।
कुक्षि देशे तथा योन्यां कटिशूलं प्रजायते गात्रं भंग भवेत्तस्य निद्रानैयो पजायते
॥ २४ ॥
उस समय उस स्त्री की कोख योनि तथा कमर में दर्द होता है। उसका अंग टूटने लगता है। और उसको नींद भी नहीं आती है।
सन्निपात प्रदोषा भवंति बह्य स्तथा उत्पलं तगरं कुष्टं यष्टि मधुक चंदनं
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अजाक्षीरेण पिष्टांत सप्ताहं पाययेत्ततः ततो यौनी विशुद्धाया मिमां दद्यात्महोषधी ॥ २६ ॥ सन्निपात के दोष भी बहुत होते हैं उस समय कमल अर्थात नीलोफर तगर मीठा कूट मुलहटी और चंदन को सम भाग लेकर बकरी के दूध में पिसवाकर उस स्त्री को सात दिन तक पिलावे तब योनि के शुद्ध हो जाने पर उसको यह महोषधि दें।
9596959SPSPSS ३९३ P/596959595