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विधानुशासन 959595959sex
ॐ ह्रीं इवीं श्रीं अहं ॐ णमो अरिहंतान आसीय साहसी हूं ही हः अप्रति चक्रे
फट विचक्राय स्वाहा ॥ २३ ॥ विद्वेष प्रतिहतं भवति
इस मंत्र से शत्रुता नष्ट हो जाती है।
ॐ ह्रीं इवीं श्रीं अहं ॐ णमो दिट्टि विसाणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौ झौ स्वाहा ॥ २४ ॥
स्थावर जंगम कृत्रिम विषं नाशयति
इस मंत्र से स्थावर जंगम और कृत्रिम सभी विष नष्ट होते हैं।
ॐ ह्रीं वीं श्रीं अहं ॐ णमो उग्गत्त वाणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः अप्रति चक्रे फट विचक्राय अनि आउसा झौ झौ स्वाहा ॥ २५ ॥
वच स्थंभणं भवति
इस मंत्र से वाणी का स्थंभन होता है।
ॐ ह्रीं वीं श्रीं अहं ॐ णमो दिदत्तवाणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः अप्रति चक्रे फट विचक्राय अनि आउसा झौ झौ स्वाहा ॥ २६ ॥
सेना स्थंभण भवति आदित्य वारे मध्यान्हे समयति
इस मंत्र को रविवार को दोपहर के समय जपकर सिद्ध करने से सेना का स्तंभन होता है।
ॐ ह्रीं वीं श्रीं अहं ॐ णमो तत्तत्तवाणं ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्र: अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौ झीं स्वाहा ॥ २७ ॥
जल अग्नि स्तभंणं भवति
इस मंत्र से जल और अग्नि का स्तंभन होता है।
ॐ ह्रीं वीं श्रीं अहं ॐ णमो महातवाणं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रौं ह्रः अप्रति चक्रे फट विचक्राय असि आउसा झौ झौ स्वाहा ॥ २८ ॥
जलं स्तभंणं भवति ।
इस मंत्र से जल स्तंभन होता है।
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