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CISCISISISDISTRICT विधाबुरशासन PHOTOSDISCARTOISCIEN
विजय मंत्रः ॐ नमो जिणाणमित्यतः परं णमो उम्गत वाणं प्रभात यावत्यार गुण ब्रह्मचारी पद यावत् प्रमाणेन पूर्ववत् झों झों स्वाहेत्यनेन अष्टोत्तर शत प्रशस्त पुष्पैजपं
कृत्या प्रयातस्य युद्धे तस्कराणं मध्ये वा जयो भवंति ॥ ॐ णमो जिणाणं तथा ॐ णमो उग्यत्तयाणं आदि पद से ॐ णमो घोर गुण ब्रह्मचारीणं पद तक के अंत में झौं झौं स्वाहा वाले मंत्र को प्रशंसा योग्य पुरुषों से १०८ प्रमाण जपकर जाने पर युद्ध या चोरों के बीच में विजय होता है।
ॐणमो जिणाण मित्यः परं ॐणमो आमो साहियताणं प्रभति ॐ णमो सयोसहि पत्ताणंपदं टायतावतामंत्रेणझौं झौं स्वाहंतेनाऽष्टोत्तरशतसुगंधपुष्पैः प्रजपन्मंत्री गुल्मशूलप्लीहा गंडमाला कुष्ट ज्वारातिसारान् व्याधीनन्यानपिशमोत् गोशीर्ष चंदनेन यथोक्यंत्र मुद्धाष्टोत्तर शतेन सित सुगंध कुसमैजप्त्वा पानीयेन तगांधं द्रयीकृत्य पायोत् व्याधिता स्वस्था भवति । ॐणमो जिणाणं तथा ॐ णमो आमो सहि पत्ताणं से लगाकर ॐ णमो सव्योसहिपत्ताणं से झों झौं स्वाहा सहित मंत्र को सुंगधित पुष्पों से एक सो आठ बार जपता हुआ मंत्री गुल्म शूल (वायुगोला) प्लीहा (तिल्ली) गंडमाला कोठ ज्यर और दस्त आदि अन्य व्याधियों को शांत करता है। गोरोचन और चंदन से उपरोक्त यंत्र के लिखकर १०८ बार सुगंधित सफेद फूलों से जपकर जल से उस गंध से लिखे हुए यंत्र को धोकर रोगी को पिलाने से रोग नष्ट होता है।
क्रूर प्राणी वशीकरण यंत्र
ॐ णमो जिणाणं ॐणमो मण बलीणं णमो वचि बलीण ॐ णमो काय बलीणं झौं शौं स्वाहा। इत्येऽनेन मंत्रेण अष्टोत्तर शत मारक्त पुष्पै जप्त्वायास्तिषति तस्य व्याघ्र सिंह शार्दूल साःकूर सत्वा वश्या भयंति। ॐणमो जिणाणं ॐणमो मण बलीणं ॐवचि बलीणं ॐणमो काय बलीणं हां
हीं हूं ह्रौं हू: अप्रति चके फट् विचकाय असि आउसा झौं चौं स्वाहा। इस मंत्र को लाल कनेर के फूलों पर एक सौ आठ बार जपकर जो बैढ़ता है व्याघ्र सिंह, हायी, शार्दूल सिंह, साप और क्रूर प्राणी उसके यश में हो जाते हैं।
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