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959595595 विद्यानुशासन 9595959595051 विक्रया ऋद्धि के द्वारा शरीर छोटा बड़ा बनाया जाता है जैसे विष्णुकुमार मुनि इस विक्रिया ऋद्धि जिनको प्राप्त हुये है उनको नमस्कार हो ।
ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो
विज्जा हराणं
पूर्व वस्तु प्रास्तादि लक्षण सकल विद्याधर भूतानां ॥ १९ ॥
उपदेश से या बिना उपदेश से भावपूर्वक समस्त वृतांत जाने उन्हें विद्याधर मुनि कहिये, सो विद्याधरों की तरह आकाश में उड़कर चले नारद मुनि व्रत ऐसे मुनि को नमस्कार हो ।
ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो चारणाणां अष्ट विद्याश्वारणां भवंति जल जंघा तंतु फल फुल्लवीय आयासथि गई कुशला अट्ठ विह चारण गुणा व िक्कम ही सुविहति इत्यभिधानात् ॥ २० ॥
ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो पणहसमणाणं विद्या धराहि संतोपि तपो गृन्हं ति तेषां प्रज्ञाऽतिशय स्तथैयो मद्यतई तित्ते प्रज्ञा श्रवण उच्यंते
॥ २१ ॥
ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो आगास गामीणंचारण शब्देनोक्तानामऽप्याकाश गामिनां इतर चारणोभ्यो विशिष्टित्यात्पुनः पृथग् उपादानं
॥ २२ ॥
विद्याधर श्रेणी पर्यंत आकाश गमन करे सो आकाश गामी ऋद्धि धारी मुनिराजों को नमस्कार हो । ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो आसी विषाणां आसीरा शंसनं तदेव विषयेषां म्रिय स्वेत्युक्ते नियमेन म्रियते उपलक्षण मेतत् तेनाशीर मृतानामित्यरित्यपि गम्यते शापानुग्रहसमर्थानामित्यर्थः यदि हिते परस्यापकारमाशंस ते तदापकारो भवति यदोपकार माशं शंसंते तदो पकारो भवतीति
तपोबल से मुनि ऋद्धि प्राप्त कर मुख्य से अगर कहे कि तु भरजा तो उसी क्षण मर जाय ऐसी सामर्थ्य
जिनमें हो उनका नाम आसी विष है फल तथा सुमरण से सर्पादि का विष नष्ट होता है।
ॐ ह्रीं अहं ॐ णमो दिट्ठि विसाणं
इदं मप्पुलक्षणार्थतेन द्दष्टयमृतानामिति गम्यते यदि हिते अप्रसन्न द्दष्टया परमव लोकं ते तदा तद्भस्म करणे तेषां सामर्थ्य अथ प्रसन्न द्दष्टया तमवलो
だめぐりぐり
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