________________
OSDISIOSD15251315 विधानुशासन 151915TOTHRISTOTRIOTSI
भानुदटो तिमिर मेति यथा विनाशं क्ष्वेडं विनस्यति यथा गरुडाग्मिन
तद्वत्समस्त दुरितं चिरं संचितं मे देवी त्वदीय मुख दर्पण दर्शनेन ॥७॥ हे सरस्वती आप की सांख्य भौलिक चार्वाक मीमांसक दिगम्बर और योगमति ज्ञान की वृद्धि के वास्ते ध्यान करते हैं। आपका ध्यान करने से कविता करने को वाचन सिद्धि होती है। जिस तरह सूर्य के उदय होने से अंधेरा नष्ट होता है, तथा गरूड़ के आगमन पर विष नष्ट होता है, उसी तरह से चिरकाल से इकट्ठा किया हुआ पाप हे सरस्वती देवी आप के दर्शन से नष्ट होता है।
सिंताबरां चतुर्भुजा सरोज विष्टर स्थितां सरस्वती वर प्रदा महन्निशं नमाम्यहं अभयज्ञान मुद्राक्ष माला पुस्तक धारिणी त्रिनेत्रा पातु मां वाणी जटा बालेन्दु मंडिता इत्थं स्तुत्वा मंत्री रवि संख्य सहस्र जातिका कुसुमैः
भक्त्या जपेत् श्रुद्या भारत्या मूल मंत्रं तं॥ श्वेत कपड़े पहने हुए चार हाथों वाली कमल के आसन पर बैठी हुई वर देने वाली सरस्वती देवी को मैं नमस्कार करता हूँ।उसका एक हाथ अभय वर देने वाला है , दूसरे हाथ से ज्ञान मुद्रा ,तीसरे हाथ में रूद्राक्ष की माला तथा चोथे हाथ में पुस्तक धारण किये हुवे हैं। तीन नेत्रवाली है उस सरस्वती वाणी देवी की जटा बाल सूर्य की तरह मंडित है- वह मेरी रक्षा करे। मंत्री इसप्रकार स्तवन करके सरस्वती देवी के पूर्वोक्त मूलमंत्र का चमेली के फूलों से भक्ति पूर्वक शुद्ध होकर आठ हजार जप करे।
महिषाक्ष गुगल रजःप्रवि निर्मितचणक मान वटिकानां.
मधुर त्रय युक्तानां होमै वागेश्वरी वरदा ॥१०॥ भंसा गुगल के चूर्ण की चने के बराबर बनाई हुई गोलियाँ तथा घी दूध बूरा के होम से सरस्वती देवी वरदान देती है।
नैवेद्य दीपादिभि रितु संरव्यैःसुवर्ण पादावमि पूज्य देव्या:
स्ववाम देश स्थित शिष्य मेव मंत्र प्रदद्या त्स हिरण्य मंत्रः ॥११॥ नैवेद्य दीपक तथा चतुर्थास सोने के भाग आदि से देवी का पूजन करके अपने बांई ओर बैठे हुये शिष्य को सुवर्ण सहित जल देकर कहे।
STOISTRISTOTTOSSIOTHE१४५ PISTRICISTRISEXSTRICIST