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9501525131512151015 विधानुशासन P15015OSDASDISOTI (२)ॐहीं पूर्व दक्षिण दिग्यासिन स्वायव वाहन यधचिन्ह परिवार सहित भो अग्ने आगच्छ-आगच्छ दिव्यासने तिष्ठ तिष्ठ इदं जलायर्चनं गृह्ण-गृह मम सन्निहितो भव भव संवोषद् ।। (३) ॐ ह्रीं दक्षिण दिग्वासिन स्वायुद्य वाहन वधु चिन्ह परिवार सहित भो राम आगच्छ आगच्छ दिव्यासने तिष्ट तिष्ट इदं जलार्चनं गृह-गृह मम सन्निहितो भव भव संवौषट ॥ (४) ॐ हीं दक्षिण पश्चिम दिग्यासिन स्यायुध वाहन वधु चिन्ह परिवार सहित भो नजरले आ आगल दिव्यासले तिष्ठ तिष्ठ इदं जलावर्चनं गृह गृह मम सनिहतो भव भय संवौषद | (५) ॐ ह्रीं उत्तर दिग्वासिन् स्वायुध वाहन वधु चिन्ह परिवार सहित भोईशान आगल-आगच्छदिव्यासनेतिष्ठ-तिष्ठ इदंजलाधार्चनंगह-गृह मम सन्निहितो भव भव संगोषट् ॥ (६) ॐहीं उत्तर पूर्व दिग्यासिन स्थायुधवाहनयधुचिन्ह परिवार सहित भोईशान आगच्छ-आगच्छ दिव्यासने तिष्ठ-तिष्ठ इदं जलाद्यर्चनं गृह-गृह मम सन्निहितो भव भव संयोषट् (७) ॐहीं आकाश दिग्वासिन स्वायुध वाहन वधु चिन्ह परिवार सहित भो सोम आगच्छ-आगच्छ दिव्यासने तिष्ठ-तिष्ठ इदं जलायचनं गह-गृह मम सन्निहितो भव भव संवौषट् (८) ॐ हीं पाताल दिग्वासिन स्वायुध वाहन वधु चिन्ह परिवार सहित भो धरणेन्द्र आगच्छ आगचा दिव्यासने तिष्ठ तिष्ठ इदं जलायचनं गृह गृह मम सन्निहितो भव भव संयोषट् ॥
इति दिक्पाल पूजा मंत्र
हस्त द्वये कनिष्टादे रंगुलिष्वपि चपंच स मंत्राक्षराणि सन्मंत्री सप्त बारं निवेशयेत्
॥१३॥
॥१४॥
तानि चामूलानि स्वां ला ही सरसुंसः हर हूंहः। चकोपरि महामंत्रं जपमष्टोत्तरं शतं।
श्री खंड कुंकुमै चारू पुष्पैकुत्सुिवासिते । अर्थ:- अच्छा मंत्री दोनों हाथों को कनिष्टा उंगली आदि पाँचो उंगुलियों में कवच मंत्रों के अक्षारों को सात बार स्थापित करे। CARTOIEDIECTROTECTRIOTS २४७PISIOTSICISIOTICISODOIN