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SSIOISRASIRIDIOTSICS विधानुशासन SRISEXSDISCREEN यह पद्मावती देवी का स्तोत्र दिव्य पवित्र स्वर्ग के देवों को मनोरंजक, पंडित लोगों से पठित, लक्ष्मी का सोमवार,मिल लो काने वाला, मंगलों में मंगल है। तीनों संघ्याओं में पवित्र होकर पाठ करने से पाठक कल्याण परम्परा से युक्त होता है और पार्श्वनाथ भगवान की कृपा से और दानवेन्द्रों से हास्य मुखी देवी पद्मावती हमारी रक्षा करे।
पठितं भणितं गुणितं जय विजय रमानि वधनं परमां
सर्वाधि व्याधि हरं त्रिजगति पद्मावती स्तोत्रं ॥२७॥ यह पद्मावती स्तोत्र १०८ बार ५४ बार पाठ करे ५००-१०००-१०००० मध्यम स्वर व्यंजनों के अर्थ को समझकर शुद्ध पढ़े। सम्यग्दृष्टि पुरुष जो मिय्या दृष्टि से भिन्न हो एक लाख, सवा लाख कलियुग में चतुर्गुण जाप करने कहा है। न्याय से तीन लाख जाप करे। तीनों संध्याओं में दशांश हवन करे। उसका दशांश तर्पण आदि करे तो- स्वदेश में जप, परदेश में विजय अर्थात एक देशव्यापी सर्व देश व्यापी विजयलक्ष्मी निबंधन आदि होता है। सब काम करने याला उत्कृष्ट है सर्वआधि व्याधि हरने वाला शारीरिक पीड़ा हरण होती है।
मधुर त्रिक संमिश्रित गुग्गुलक़त चणकमान वटिकनां
त्रिंश त्सहस्त्र होमात सिद्धयति पद्मावती देवी ॥२८॥ घी, दूध, शक्कर और गुग्गुल की चने के बराबर गोलियाँ का तीस हजार होम करने से पनश्यती देवी सिद्ध होती है।
होमेप्यास्मिन्कमणि साधन विधिनैव लब्ध विधस्य
स्युर्मत्रिणः समस्त प्रेप्सित फल सिद्धयो नियतं ॥२९॥ इस साधन विधि में कुछ कमी रह जाने पर भी यदि मंत्री को मंत्र सिद्ध न हो तो तब भी उसके सब कार्य निश्चय से ही सिद्ध हो जाते हैं।
चतुरस्र मंडलमति रमणीयं पंच वर्ण चूर्णेन प्रविलिरव्य
चतु:कोणे तोय भूतान स्थापयेत कुंभान् ॥३०॥ एक घौकर मंडल को सफेद, लाल ,पीला, हरा और काला इन पांचो प्रकार के रंगों के चूर्ण से बनाकर उसके चारों कोणों में जल से भरे हुवे कलश रखे।
तस्योपरि विपुल तर मंडप मति सुरभि पुष्पमाला कीर्ण
चन्द्रोपद्विज तोरण घंटा वर दर्पणोपेतं ॥३१॥ CICISIOISTRICISISTICK5 २१०PETECISIOTICISCIEOS