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SCSTISISISCHARISION मिनुपश्चन्द PATRORISEDICTICIES
तोतलाधरिता नित्या त्रिपुरा काम साधनी देव्यानामानि पद्माया स्तथा त्रिपुर भैरवी
॥१८॥ तोतला त्वरिता नित्या त्रिपुरा काम साधिनी पद्मा पद्मावती और त्रिपुर भैरवी यह देवी का नाम है।
चतुर्भुजा पाश फल प्रदान द्विपेद्र वश्यां कित चारु हस्ता
त्रिलोचना रक्त सरोज पीठा पद्मावती माम बतानमंतं ॥१९॥ पाशफल वरद और अंकुश सहित चार भुजा वाली तीन नेत्रवाली लाल कमल के आसन वाली पद्मावती देवी मेरी रक्षा करे।
हां ह्रींसु बीज प्रमुरवै श्च शून्ये ऐं ह्रीं नमो देव्यं भिधान पूर्वे
शीर्ष च चक्रं हृदयं च नाभिं पादौ च रक्ष द्वयतोथ पद्मे ॥२०॥ ॐ ह्रीं के पश्चात ह्रां ह्रीं आदि शून्य बीजों का लगाकर देवी का नाम लिखकर सिर मुँह हृदय नाभि पादौ पद लगाकर रक्ष रक्ष पद लगाये।
ब्ल पिंड माया क ष वर्ण टांतान विलियं वाहोऽष्टदलाब्ज यंत्रं
दशाक्षरी तेषु च वौषट् इंदु खहेंदु वेष्टयं तब पद्म पद्मे ।। २१ ॥ ब्लें पिंड (झ पिंड च्म्ल्यूं माया ह्रीं कष (आं) टांत (ठ) को लिखकर उसके बाहर आठ दल का कमल बनावे उसमे दशाक्षरी क ख ग घ न च छ ज झ ञ वोषट और इंदुझ्यीं लिखकर पद्मावती के मूलमंत्र से वेधित करें।
नाते तेजो मुरय लोकनाथं हैं व्योम षांत स्थित काम राजं ।
पने पदं कटिन्य थैति देवि त्वदाराधनमूलमंत्र ॥२२॥ अंत में नमः आदि में तेज (1) लोकनाथ हीं) है व्योभ (ह) षात (स) और कामराज (क्ली) का मिला हुआ रूप पद्मे पद्म कटिनी सहित देवी का मूलमंत्र है।
1 हीं हैं इसक्लीं पद्म एम कटिनी नमः यंत्रं लिरियत्यागुरु चंदनायै प्रपूर्व्यदुत्तर दिग्मुश्य स्थ
दशा क्षरं मंत्र पद जपन्यः किं पश्यते तस्य फलंतु पो ॥२३॥ इस यंत्र को अगुरू चंदन आदि से लिखकर उत्तर की ओर मुख करके पूजन करता हुआ पुरूष दशाक्षर मंत्र का जा जाप करता है। उसकी हे पद्मे कोई फल अविशिष्ट नही रहता है। 8510151215TOSDISTRISD55 १९८ PISTORICIST0505CISION