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( २३ ) भाषार्थ- जिस तिर्यंचगतिविषै जीव परस्पर खाया हुवा उत्कृष्ट दुख पावै है. वह बाकू खाय, वह वाकू खाय, जहां जिसके गर्भ में उपज्या ऐसी माता भी पुत्रकू भक्षण कर जाय तौ अन्य कौन रक्षा करै ? तिव्वतिसाए तिसिदो तिव्वविभुक्खाइ भुक्खिदो संतो तिव्वं पावदि दुक्खं उयरहुयासेहिं डझंतो॥४३॥ ... भाषार्थ-तिस तिर्यंचगतिवि. जीव तीन वृषाकरि तिसाया तीव्र क्षुधाकर भूखासंता उदरानिकरि जलता तीव्र दुःख पावै है। -
भागें इसको संकोचे हैं,एवं बहुप्पयारं दुक्खं विसहेदि तिरियजोणीसु। तत्तो णीसरऊणं लडिअपुण्णो णरो होइ ॥ ४४ ॥.. ___ भाषार्थ-ऐसे पूर्वोक्तमकार तिर्यंचयोनिविर्षे जीव अ नेक प्रकार दुखकू पावै है ताहि सहै है. तिस तियचगतित नीसर मनुष्य होय तौ कैसा होय-लब्धि अपर्याप्त, जहाँ पर्याः । सिंपूरे ही न होय । ____ अब मनुष्यगतिविषै दुःख है तिनकू बारह गाथानिकरि
सो प्रथम ही गर्भविष उपजै ताकी अवस्था हैं हैं। अह गब्भे वि य जायदि तत्थ वि णिवडीकथंगपच्चंगो विसहदि तिव्वं दुक्खं णिग्गममाणो वि जोणीदों ४५