________________
( ७२ ) छविहा सुहमा जीवा लोयायासे वि सव्वत्थ १२३ ॥
भाषार्थ - जे जीव श्राधारसहित हैं, ते तौ स्थूल कहिये वादर हैं. ते पर्याप्त हैं- बहुरि अपर्याप्त भी हैं । बहुरि जे लोकाकाश सर्वत्र अन्य आधाररहित हैं ते जीव सूक्ष्म हैं छह प्रकार हैं ।
मार्गे वादर सूक्ष्म कूद कूंन हैं सो कहे हैं, - पुढवीजलग्गिवाऊ चचारि वि होंति वायरा सुहमा | साहारणपत्तेया वणप्फदी पंचमा दुविहा ॥ १२४ ॥
भाषार्य - पृथ्वी जल अग्नि वायु ये च्यारि तौ बादर भी हैं तथा सूक्ष्म भी हैं बहुरि पांचई वनस्पति है सो प्रत्येक साघारण भेद करि दोय प्रकार है ।
--
श्रार्गे साधारण प्रत्येक सूक्ष्मपणाकूं कहै हैं,साहारा विदुवा अाइकाला य साइकाला य । ते वय वादरसुहमा सेसा पुण वायरा सव्वे १२५ ॥
भाषार्थ - साधारण जीव दोय प्रकार हैं. अनादिकाला कहिये नित्य निगोद सादिकाला कहिये इतर निगोद ते दोऊं हू वादर भी हैं सूक्ष्म भी हैं बहुरि शेष कहिये प्रत्येक वनस्पती वा त्रस ते सर्व वादर ही हैं । भावार्थ- पूर्वै कहया जो सूक्ष्म छह प्रकार हैं ते पृथ्वी जल तेज वायु तौ पहली गाथा में कहे. बहुरि नित्य निगोद इतर निगोद ए दोय ऐसें छह