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( ७३ ) प्रकार तो सूक्ष्म जानने. बहुरि छह प्रकार तौ ए रहे अर अवशेष ते सर्व वादर जानने। ___ आगे साधारणका स्वरूप कहै हैं,साहारणाणि जोस आहारुस्सासकायआजाण । ते साहारणजीवा ताणंतप्पमाणाणं ॥ १२६ ॥
भाषार्थ-जिन अनन्तानन्त प्रमाण जीवनकै आहार उ. च्छ्वास काय आयु साधारण कहिये समान हैं. ते साधारण जीव हैं । उक्तं च गोमट्टसारे-- "जत्थेक्कु मरइ जीवो तत्थ दु मरणं हवे अणंताणं चंकमइ जत्थ एक्को चंकमणं तत्थ गंताणं" । भाषार्थ-जहां एक साधारण जीव निगोदिया उपजै तहां ताकी साय ही अनन्तानन्त उपले पर एक निगोद जीव मरै ताके साथ ही अनंतानन्तसमान श्रायुवाला मरै है. भावार्थ-एक जीव आहार करै तेई अनन्तानन्त जीवनिका आहार, एक जीव स्वासोस्वास ले सो ही अनन्तानन्त जीवनिका स्वासोस्वास, एक जीवका शरीर सोई अनन्तानन्तका शरीर, एक जीवका आयु सोही अनन्तानन्तका आयु ऐसे समान है तात साधारण नाम जानना।
प्रागें सूक्ष्म वादरका स्वरूप कहै हैं,ण य जेसिं पडिखलणं पुढवीतोएहिं अग्गिवाएहि। ते जाण सुहुमकाया इयरा पुण थूलकाया य १२७