________________
(१८९)
नाहीं केवल पाप ही उपजै सो दूजा पापोपदेश नाम अनर्थदंड है, परकं पापके उसमें अपने केवल पाप ही बंधै है. ताते व्रतभंग होय है तात याकू छोडे उनकी रक्षा है व्रत परि गुण करै है उपकार करै है ताते याका नाम गुणवत
____ आगें तीसरा भमादचरित नाम अनर्थदंडका भेदकू कहै
विहलो जो वावारो पुढवीतोयाण अग्गिपवणाण । तह वि वणप्फदिछेओअणत्थदंडोहवे तिदिओ३४६ - भाषार्थ-पृथ्वी जल अग्नि पवन इनिके विफल निःयोजन व्यापार में प्रवृत्ति करना तथा निःप्रयोजन वनस्पति हरतिकायका छेदन भेदन करना सो तीसरा प्रमादचरित नामा अनर्थ दण्ड है. भावार्थ- जो प्रमादके पशि होकर पृथिवी जल अग्नि पवन हरितकायकी निःप्रयोजन विराधना करै तहां त्रस थावरनिका घात ही होय अपना कार्य किछ सधै नाहीं तात याके करने में व्रत भंग है. छोडें व्रतकी रक्षा होय है ॥ ३४६ ॥
भागें चौथा हिंसादान नामा अनर्थदंडकू कहै हैं, मज्जारपहुदिधरणं आयुधलोहादिविकणं जं च। लक्खाखलादिगहणं अणत्थदंडो हवे तुरिओ३४७
भाषार्थ-जो बिलाव श्रादि जो हिंसक जीवोंका पाल