________________
(१८४) खोसि न ले तथा मानकरि कहै हम बड़े जोरावर हैं लीया तौलीया. ऐसे परका धन ले नाही. ऐसे ही परकौं लि. वाव नाहीं. ऐसे लेतेकू भला जाण नाही. बहुरि अन्य प्रन्थनिमें याके पांच अतीचार कहे हैं. चोरकौं चोरीके अर्थ प्रेरणा करणा, तिसका ल्याया धन लेना, राज्य विरुद्ध होय सो कार्य करना, व्योपारके तोल बाट हीनाविक रखणे, अल्पमोलकी वस्तुकू बहु मोलकी दिखाय ताका व्योहार करना, ए पांच अतीचार हैं सो गाथामें विशेषण किये तिनिमें आय गये. ऐसें निरतिचार स्तेयत्यागवत पालै सो तीसरा अणुव्रतका धारी श्रावक होय है ।। ३३५-३३६ ॥ ____ आगे ब्रह्मचर्यव्रतका व्याख्यान करै हैं,असुइमयं दुग्गंधं महिलादेहं विरच्चमाणो जो । रूवं लावण्णं पि य मणमाहेणकारणं मुणइ॥३३७ जो मण्णदि परमाहलं जणणीवहणीसुआइसारित्थं । मणवयणे कायेण वि बंभवई सो हवे थूलो ॥३३८॥
भाषार्थ-जो श्रावक स्त्रीकी देह अशुचिमयी दुर्गन्ध जागतो संतो तथा ताका रूप लावण्य ताकौं भी मनके विष मोह उपजावनेकौं कारण जाण है यात विरक्त हवा सन्ता प्रवते है बहुरि जो परस्त्री बडीकौं माता सरिखी, परावरिकीकू बहणसारिखी, छोटीकौं वेटीसारिखी, मनवचनकायकरि जो जाणे है सो स्थूल ब्रह्मचर्यका धारक श्रावक है. 4.