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( ६८ ) कर है. शिव संहार करै है. तथा काछिवा तथा शेष नाग धारथा है. तथा प्रलय होय है, तब सर्वशून्य होय जाय है. ब्रह्मकी सत्ता मात्र रह जाय है. बहुरि ब्रह्मकी सचामें सू सष्टिकी रचना होय है. इत्यादि अनेक कल्पित कहै हैं. ताका निषेध इस सूत्रतें जानना. लोक काहू करि कीया नाही. काहू करि धारया नाही. काहू करि विनसें नाहीं. जैसा है तैसा ही सर्वज्ञने देखा है सो वस्तु स्वरूप है।
भागें इस लोकवि कहा है सो कहैं हैंअण्णोण्णपवेसेण य दव्वाणं अत्थणं भवे लोओ। दव्वाणं णिच्चत्तो लोयरस वि मुणह णिच्चत्तं ११६
भाषार्थ-जीवादिक द्रव्यनिका परस्पर एक क्षेत्रावगाहरूप प्रवेश कहिये मिलापरूप अवस्थान सो लोक है. जे द्रव्य हैं ते नित्य हैं. याही लोक भी नित्य है ऐसा जानहु. भावार्थ-षड्द्रयनिका समुदाय सो लोक है. ते द्रव्य नित्य हैं, ता. लोक भी नित्य ही है।
'आगे कोई तर्क करै जो नित्य है तो उन विनमै कौन है, ताका समाधानका सूत्र हैं हैंपरिणामसहावादो पडिसमयं परिणमंति दया । तेसिं परिणामादो लोयस्स वि मुणह परिणामं ॥ ____ भाषार्थ-या लोकमें छह द्रव्य हैं ते पर..भाब हैं। याते सम समय परिणमै हैं तिनके परिणामी