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(६३) जो महाराशि परिमाण भाया सो भी मध्य असंख्यातासंख्या तका भेद है. बहुरि तिस राशि परिमाणके फेरि शलाका विरलन देय राशि करना तिनकू पूर्वोक्त विधानकरि गुणनेतें जो महाराशि भया सो यह भी मध्य असंख्यातासंख्यातका भेद भया. अर शलाकात्रयनिष्ठापन एक वार भया. बहुरि इस राशिमैं असंख्यातासंख्यात प्रमाण छह राशि
और मिलावणी । लोकप्रमाण धर्म द्रत्यके प्रदेश, अधर्म द्रव्यके प्रदेश, एक जीवके प्रदेश, लोकाकाशके प्रदेश बहुरि तिस लोकते असंख्यातगुणे अतिष्ठित प्रत्येक वनस्पति जीवनिका परिमागा, बहुरि तिसते असंख्यातगुणे सपतिष्ठित प्रत्येकवनस्पति जीवोंका परिमाण ये छह राशि मि. लाय पूर्वोक्त प्रकार शलाका विरलन देयराशिके विधानकरि शलाकात्रयनिष्ठापन करना, तब जो महाराशि निपज्या सो भी मध्य असंख्यातासंख्यातका भेद है. तामें च्यारि राशि और मिलावने-कल्प काल वीस कोड़ाकोडी सागरके समय बहुरि स्थितिबंधकू कारण कषायनिके स्थान, अनुभाग बंधर्व कारण कषायनिके स्थान, योगनिके अविभाग प्रतिरछेद, ऐसी च्यारि राशि मिलाय अर पूर्वोक्त विधानकरि शलाकात्रय निष्ठापन करना ऐसे करतें जो परिमाण होय सो जघन्यपरीतानन्तराशि भया. यामैसू एक रूप घटाये उस्कृष्ट असंख्यातासंख्यात होय है. वीचिमें मध्यके नाना भेद हैं. बहुरि जघन्य परीतानन्त राशि विरलनकरि एक एक