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करनेवाले आस्तिक्यगुणको प्राप्त किया । तथा जिस पद्मनाभ तर्थिकरके श्रेणिक अवतारके समय, उनके किये हुये प्रश्नके उत्तरमें श्री महावीरस्वामीने समस्त पापोंके नाशकरने वाले तथा इस श्रेणिकचरित्रके भी प्रकाश करने वाले वचनोंको प्रतिपादन किया, और जिस पद्मनाभभगवानके जीव, श्रेणिक महाराज,के प्रश्नके प्रसादसे, पुराण व्रत संख्यान आदिके वर्णन करनेवाले, समस्त विवादियोंके अभिमानको नाश करनेवाले, इससमय भी अनेक ग्रंथ विद्यमान है, जो श्रेणिक महाराज महाश्रोता, महाज्ञाता, महावक्ता, धर्मकी वास्तविक परीक्षा करने वाले, भविष्यतकालमें होनेवाले समस्ततीर्थंकरोंमें प्रथम व मुख्य तीर्थंकरभगवान होंगे ऐसे ( श्रेणिकमहाराजके जीव ) श्रीपद्मनाभ तीर्थकरको भी मैं मस्तक झुकाकर नमस्कारपूर्वक उनके संसारसंबंधी समस्त चरित्रका वर्णन करता हूं। ___ग्रंथकार शुभचंद्राचार्य अपनी लघुता प्रकाश करते हुये कहते हैं कि कहां तीर्थकरका यह चरित्र जिसके विस्तारका अंत नहीं, और कहां अनेकप्रकारके आवरणोंसे ढकी हुई मेरी बुद्धि तथापि जिसप्रकार सतमहले उत्तम मकानके ऊपर चढ़नेकी इच्छा करनेवाला पंगुपुरुष, प्रशंसाका भाजन होता है, उसीप्रकार इस गंभीर विस्तृतचस्त्रिके वर्णनकरनसे मैं भी प्रंशसाका भाजन हूंगा इसमें किसीप्रकारका संदेह नहीं। । यदि कोई विद्वान मुझे वावदूक अर्थात् अधिक बोलने
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