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दिशाएँ शान्त हों । वायु अनुकूल बहता हो । आकाश निर्मल हो । पक्षी मधुर बोलते हों। ये सब भावी की शुभ सूचनायें हैं । महाराजा प्रतापसिंह भावी की मंगल प्रेरणा से प्रेरित हुए, अपने लक्ष्य-दीपशिखा की तरफ अबाधगति से जा रहे थे । मार्ग में आये हुए सुरम्य वनस्थल ने फिर भी उन्हें कुछ समय के लिये अपनी मनोरम लीला दिखाने के लिये रोक ही लिया। - महाराजा की आज्ञा से तंबू गाड दिये गये। विश्राम के लिये हाथी घोड़े खोल दिये गये । अपने २ डेरों में सभी आराम करने लगे । बढिया कीनखाब के बने तंबू में जिसमें मखमली फर्श और इरानी कालीने बिछी हुई थीं जो चारों ओर रेशमीन रस्सियों से चांदी के खुटों में