________________ m mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmnnnnnnnnnnnnnnnnn . श्रीशान्तिनाथ चरित्र। भाई जगे हुए हैं, इसलिये मैं थोड़ी देर बाद आपका काम कर दूंगा। हे स्वामी ! तबतक समय बितानेके लिये या तो आपही कोई कहानी सुनाइये, या मैं कहूँ और आप सुनें।" राजाने कहा, "तुम्हीं कहो।" दुर्लभराजने कहा, “इसीभरतक्षेत्रमें एक पर्वतके ऊपर बसा हुआ राजपुर नामका नगर है। किसी ज़मानेमें वहाँ शत्रुदमन नामका राजा था। उनकी पटरानीका नाम रत्नमाला था। एक समय राजा अपनी सभामें बैठे हुए थे, कि इतनेमें प्रतिहारीने आकर ख़बर दी, कि द्वारपर एक बटुक (ब्राह्मण-बालक ) आकर खड़ा है। राजाने उसे तुरत अपने पास बुलवा लिया। पहरेदार उस बालकको दरबार में ले आया ; पर चूंकि राजा राजकाजमें लगे हुए थे, इसलिए बटुक चुपचाप एक आसन पर बैठा रहा। इसके बाद राजा, दरबार बर्खास्त कर, श्रम दूर करनेके लिये अभ्यङ्ग-स्नान आदि कर, देवपूजा करनेके लिये एक सुन्दर स्थानमें आ बैठे। उस समय बटुकने देवपूजाके लिये राजाको फूल दिये। राजाने पूछा, "हे भद्र ! तुम कौन हो और कहाँसे आये हो ?" उसने जवाब दिया, "हे महाराज ! मेरा हाल यों है, सुनिये। मैं अरिष्ट नामक नगरके यशदत्त नामक ब्राह्मणका पुत्र हूँ। मेरा नाम शुभकर है। मैं देश देशके कौतुक देखने के लिये घरसे बाहर हुआ हूँ। घूमताफिरता आज आपके पास आ पहुँचा हूँ।” यह सुन, राजाने उसे स्वभावका विनयी, मधुर-भाषी और सञ्चरित्र समझकर अपने पास रख लिया। यह भी मजेसे वहाँ रहने लगा। कहा भी है.- .. ... . ' "शूरस्त्यागी प्रियालापी, कृतज्ञो दृढसौहृदः / . विज्ञानी स्वामिभक्तश्च, स सर्वगुणमन्दिरम् // " ____अर्थात्---"जो शूरवीर, त्यागी, मधुर-भाषी, कृतज्ञ, दृढ़ मित्रतावाला, विज्ञानी और स्वामीभक्त होता है, वह मानों सभी गुणोंसे भरा-पूरा होता है।" . ............. P.P.Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust