________________ . 326 . श्रीशान्तिनाथ चरित्र / पूछा, "हे प्रभु ! वह करोलपिङ्गल कौन था ? और उसने किस प्रकार चौथे व्रतका खण्डन करके दुःख पाया ? हे स्वामिन् ! कृपाकर उसकी कथा कहो।" इस पर भगवान्ने कहा, "उसकी कथा यों है, सुनो SI@D A RB Serie 9|12 - कराल पिङ्गलकी कथा | 6pnार इसी भरतक्षेत्रमें नलपुर नामका नगर है। उसमें नलपुत्र नामक एक प्रतापी राजा था। उसके घरमें राजाके अतिशय प्रिय और शान्तिक पौष्टिक आदि क्रियाएँ करनेमें निपुण करालपिङ्गल नामका पुरोहित रहता था। वह रूपवान्, युवा और धनवान् था / उसी नगरमें पुष्पदेव नामका एक बड़ा भारी व्यापारी रहता था। पुरोहितकी उस व्यापारीके साथ बड़ी मित्रता थी। उस व्यापारीकी स्त्रीका नाम पद्मश्री था। वह मनोहर रूपवाली और पतिव्रत आदि उत्तम गुणोंसे युक्त थी। कहा भी है, कि-- पतिव्रतानां नारीणां, भर्तुस्तुश्यति देवताः। गंगा यथाऽरन्त्यजस्यापि, स्वयं हि श्रीफलं ददौ // 1 // ' . अर्थात्-- 'पतिव्रता स्त्रियों के स्वामीपर सभी देवता प्रसन्न रहते हैं जैसे कि * गंगानदीने स्वयं ही एक चाण्डालको श्रीफल दिया था / ' ___ एक दिन पुरोहितने किसी कामसे राजाको बड़ा सन्तुष्ट किया। तब राजाने उसे वरदान दिया, कि तुम्हारी जो कुछ इच्छा हो, माँग लो। यह सुन, विषयासक्त चित्तवाले पुरोहितने कहा,--“हे स्वामिन् ! यदि आप मुझे मुंह मांगा दान देना चाहते हैं, तो मैं आपसे यही मांगता हूँ, कि इस नगरमें मैं चाहे जिस पर-स्त्रीके साथ सम्भोग करूँ, पर मेरा - अपराध नहीं माना जाय / " यह सुन, राजाने कहा,- "हे पुरोहित ! जो स्त्री तुमसे मिलना चाहे उसीसे तुम भी मिलना औरसे नहीं, यदि * * यह कथा किसीकों मालूम नहीं है। Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.