________________ मा.श्री राम ! दम किनाभीपष्ट प्रस्तावावरायना कन्द्र काया 355 दम किनारे है। अगर कहीं किसी दिन घरमें चोर घुस पड़े, तो ये गहने तुम्हारे लिये फ़सादका घर हो जायेंगे। यह सुन, उसने कहा,“यदि तुम्हें मुझे इन्हें पहननेहो देना नहीं था, तब तुमने इन्हें बनवाया किस लिये ? मेरे ख़यालसे तो इन्हें पहने रहना ही ठीक है। जब चोर आयेंगे, तब मैं इन्हें झटपट उतार फेकूँगी।" यह सुन, वह ब्राह्मण चुप रह गया। एक दिन उस गाँवपर भीलों की बड़ी प्रचण्ड चढ़ाई हुई और दैवयोगसे वे उसी ब्राह्मणके घरमें घुस पड़े। उस समय भीलोंने उस ब्राह्मणकी पत्नीको गहने पहने देख, उसे पकड़ लिया ; पर चूँकि वह बड़ी हृष्ट-पुष्ट थी, इसलिये वे गहने उसके शरीरसे आसानीके साथ नहीं निकल सके। यह देख, उन भीलोंने उस ब्राह्मणीके हाथ-पैर आदि अङ्ग बड़ी निर्दयताके साथ काट डाले और उसके सब गहने लेकर चम्पत हो गये। वह ब्राह्मणी आर्तध्यानके साथ मृत्युको प्राप्त हो, नरको गयी। - भोगोपभोग पर नित्य मण्डिता ब्राह्मणी की कथा समाप्त। फिर श्रीशान्तिनाथ भगवान्ने चक्रायुध राजासे कहा,-“हे राजन् ! "तीसरा गुणव्रत अनर्थ-दण्ड-त्याग है। अनर्थ के चार भेद हैं। पहला. वह है, जो एक मुहूर्त बादही अपध्यान कराता है। दूसरा, जो प्रमादका आचरण कराता है। तीसरा, जो हिंसाके उपकरणों-: दूसरेको देता है और चौथा, दूसरेको पाप-कार्य करनेका उपदेश / है। इसव्रतके विषयमें समृद्धदत्तकी कथा प्रसिद्ध है। वह प्रकार है OGoreGOOG09. पुत्राने समृद्धदत्तकी कथा। . मनः। O -660623spre ) के भरतक्षेत्रमें रैपुर नामक एक नगर है। उसमें : रहते थे। उसी नगरमें समृद्धदत्त नामका एक शरीरको रुधिरसे पोत P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust