________________ षष्ठ प्रस्ताव। 326 पुष्पदेव, उस दुष्टको पीजरेमें बन्दकर, अपने साथ दूसरे देशको ले गया। वहाँ छः महीने तक रह, अपना कार्य सिद्ध कर, वह फिर अपने नगरको आया। उस समय उस पुरोहितकी पूरी मिट्टी पलीद करनेके इरादेसे उसने अपनी बुद्धिसे यह उपाय सोच निकाला, कि पहले तो मोमको गलाकर उसका रस उसके सारे शरीरमें पोत दिया। इसके बाद उसके समूचे बदनपर खूबसूरत मालूम होने लायक पांच रंगोंके चिड़ियोंके पर लाकर चिपका दिये। इस प्रकार उसने पुरोहितको पूरा पक्षी बना डाला और उसे काठके एक बड़ेसे पीजरेमें बन्द कर, उसमें ताला लगा, उस पीजरेको एक गाड़ीपर रखवाया और उसे लिये हुए राजसभामें आ , पहुँचा। आतेही उसने राजाको प्रणाम कर, निवेदन किया,-"महा. राज ! मैं आपकी आज्ञासे जलमार्ग द्वारा उस द्वीपमें पहुँचा और वहाँसे बहुतसे किंजल्प-पक्षी लेकर चला था, पर सबके सब रास्तेमें मर गयेसिर्फ एक जीता बच गया है,उसे आपको दिखानेके लिये ले आया हूँकृपाकर देख लीजिये।" राजाने कहा,-"हे सौदागर ! तुम उस पक्षीको यहीं लाकर मुझे दिखलाओ।" राजाकी यह आज्ञा पा, वह बहुतसे लोगोंसे उस गाड़ीको खिंचवा लाया, जिसपर वह पीजरा रखा था और पास आनेपर उन्हीं लोगोंसे वह पीमरा उतरवाकर, राजाके पास रखवा दिया। इसके बाद उसने उस पींजरेका ताला खोला। यह देख, राजाने कहा,-"यह पक्षी तो सुन्दर स्वर और मनोहर रूपवाला मालूम पड़ता है। खैर, देखना चाहिये, यह कैसा है ?" यह कह, राजाने उसे भली भांति देखा, तो आदमीसा मालूम पड़ा। यह देख, उन्होंने पुष्पदेवसे पूछा,-"क्या यह पक्षी आदमीकी सी सूरत-शक्लवाला होता है ?" उसने कहा,-"जी हाँ।" राजाने कहा,-"सुना है, कि इसकी बोली बड़ी मीठी होती है, इसलिये इसे एकबार बुलवाओ तो सही।" / / यह सुन, पुष्पदेवने हाथमें एक लोहेका सींकचा ले, उसकी तेज़ नोकसे उसे गोदते हुए कहा,--"रे पक्षी ! बोल !" उसने कहा, "क्या बोल। यह सुन राजाको बड़ा विस्मय हुआ उन्होंने उसका मुँह और दाँत देख, P.P.AC. Gunratnasuri M.S. 42 Jun Gun Aaradhak Trust