________________ षष्ठ प्रस्ताव रत्नोंको लेकर वह वहाँसे चल पड़ा। क्रमशः वह समुद्रके किनारे बसे हुए बेलाकूल नामक नगरमें पहुँचा। उस नगरमें लक्ष्मीका वास देख, 1 वह उसके अन्दर पैठा और श्रीसार नामक एक सेठके घर आया। सेठ ने भी उसे खूब ठाट-बाटके साथ खिलाया-पिलाया और उसकी बड़ी आवभगत की। इसके बाद उसने दो करोड़ पर दो रत्न बेंचे और इसी धनसे किरानेका माल खरीद कर बड़ीसी गाड़ीमें लदवाया और बहुत बड़ा काफ़िला साथ लिये हुए अपने देशकी ओर चला / रास्तेमें एक बड़ा भारी जङ्गल मिला / दोपहर में वहीं एक स्थानपर सारे काफ़िलेका डेरा पड़ा। काफ़िलेके लोग रसोई -पानीकी धुनमें लग गये। इतनेमें भील-जातिके चोर एकाएक कहींसे आकर काफ़िलेमें लूट-पाट मचाने लगे। यह देख, अपने सब साथियों समेत सुलस उनसे युद्ध करनेको तैयार हो गया / भीलोंने सुलसके सेवकोंको हराकर भगा दिया और सुलसको जीता ही पकड़ कर द्रव्यके लोभसे एक बनियेके, हाथ घेच दिया। उस बनियेने उसे मुंहमांगे दामोंपर एक ऐसे मनुष्यके हाथ बेच दिया, जो मनुष्योंके रुधिरकी तलाशमें रहता था / यह आदमी 'पारसकूल' से आया था। वह मनुष्योंको खरीद कर अपने देशमें ले जाता और उनके शरीरका रुधिर निकाल कर कुण्डमें डाल देता था। उस रुधिरमें जो जन्तु उत्पन्न होते थे, उन्हींसे कृमिराग (किरमिची रङ्ग) बनता था, जिससे कपड़े रँगे जाते हैं / फिर तो वे कपड़े जला देने पर उनकी राख भी लाल रङ्गकी होती थी। बेचारा सुलस वहां बड़ा दु:ख उठाही रहा था, कि एक दिन उसके शरीरसे कुधिर निकलता देख, एक भारण्ड पक्षी उसे उठाकर आसमानमें उड़: पुत्रानौर उसे रोहिताचल पर्वतकी एक शिलापर ला पटका। ज्योंही मनसे खानेको तैयार हुआ, त्योंही एक दूसरे भारण्ड-पक्षीको दो किया ये, फिर तो दोनों पक्षी आपसमें युद्ध करने लगे / बस, सुलर्स से बच कर पासकी एक गुफामें चला गया। इसके बाद जब वे दोनों पक्षी दूसरी जगह चले गये, सब सुलस गुफासे बाहर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust