________________ .. पञ्चम प्रस्ताव 213 चाहता है और जो उपकारको नहीं भूलता; या तो इन्हीं दोनों : पुरुषोंको पृथ्वी धारण करती है;अथवा ये ही दो पुरुष पृथ्वीको धारण किये हुए हैं। "यह सुनकर, राजाने उस ब्राह्मणसे उसका कुल हाल पूछा, जिसके उत्तरमें उसने आदिसे अन्ततक अपनी सारी रामकहानी कह सुनायी। इससे सन्तुष्ट होकर राजाने उस शिवस्वामी ब्राह्मणको बड़े आदरके साथ एक देशका स्वामी बना दिया। इसके बाद हो उस ब्राह्मणने अपने देशमें आकर नागकी पूजा करनेके लिये नागपञ्चमी-व्रत चलाया। ___ यह कहानी-सुनाकर उस बाघने उस बंदरीसे कहा,-"हे वानरी! जैसे उस ब्राह्मणने सुनारका विश्वास कर धोखा खाया और . विपत्तिमें पड़ा, वैसे ही तू भी इसका विश्वास न कर, नहीं तो यह भी तेरी वैसेही दुर्दशा करेगा। इसलिये, ला-इसे मेरे हवाले कर-- मैं झटपट चट कर जाऊँ।" बाघके इतना सब कुछ कहने पर भी उस वदरीने उसे नहीं छोड़ा। तब वह बाघ उसी वृक्षके नीचे बैठकर विचार करने लगा,--"ओह ! यह बँदरी भी तो अपनी धुनकी बड़ी पक्की है !" इसके बाद जब उस निषादकी नींद टूटी, तब उसकी गोदमें सिर रखकर वह वानरी भी सो रही। उसको सोते देख, उस बाघने पास आकर उस निषादसे कहा,-"देखो, भाई ! तुम इस बँदरी का विश्वास न करो। यदि तुम अपना भला चाहते हो, तो मुझ सात दिनके भूखे हुएको यह बंदरी दे डालो और तुम सही-सलामत पुण्यात्मा बने रहो, नहीं तो सच जानना, सदेह घर नहीं जाने पाओगे। और क्या तुमने यह नहीं सुना है, कि पहले ज़माने में एक बन्दरने ही एक राजाका नाश कर दिया था ?" यह सुन निषादने कहा,-“हे बाघ ! तुम मुझे वह कथा सुनाओ।" तब बाघने यह कथा सुनायी:__“पूर्वकालमें नागपुर नामक नगरमें पावक नामका एक बड़ी समृद्धिवाला राजा रहता था। एक दिन अश्चक्रीड़ा करते हुए वे राजा एक उलटी सीख पाये हुए घोड़े द्वारा ज़बरदस्ती खिंचे हुए एक.बड़े भारी Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.